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IPC की जगह BNA लागू होने से सिस्टम में होगा बदलाव…जानें नए कानूनों से क्या पड़ेगा प्रभाव?

IPC अंग्रेजों के ज़माने वाले क़ानून थे जो 1872 में बने थे जिन्हें अब बदलकर भारतीय न्याय संहिता यानि BNA कर दिया गया है. 1 जुलाई यानि आज से ये कानून लागू हो गए हैं. इन कानून के लागू होने से क्या बदलाव आएगा, आइए जानते हैं.

नई दिल्ली. 1 जुलाई यानि आज से पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए है. IPC/CRPC की जगह अब तीन नए कानूनों के लागू हो गए हैं. अब आईपीसी की 511 धाराओं के मुकाबले केवल 358 धाराएं होंगी. इससे आपराधिक न्याय प्रणाली में क्या बदलाव आएंगे, आइए जानते हैं.

अंग्रेजों के ज़माने के कानून समाप्त

अंग्रेज़ों के ज़माने के कानून अब बदल गए हैं. 1872 में बने पुराने कानून अब समाप्त हो गए. देशभर में भारतीय दंड संहिता यानि IPC, दंड प्रक्रिया संहिता यानि CrPC के बदले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं.

BNA (भारतीय न्याय संहिता) लागू होने से क्या होंगे बदलाव

नए कानून लागू हो जाने से न्याय प्रणाली में बदलाव आएंगे. सबसे पहले तो ये शिकायत दूर होगी कि पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती क्योंकि अब कोई भी कहीं से भी ऑन-लाइन तरीके से जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है.

डिजिटल तरीकों से समन, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, एसएमएस जैसी चीजें लागू होंगी. हर तरह के जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी की जाएगी.

जानकारों का कहना है कि टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कानूनी व्यवस्था में प्रभाव ज़रूर पड़ेगा और एक सुविधाजनक और समय से लोगों तक न्याय पहुंचेगा जो संविधान के अनुसार होगा.

न्याय व्यवस्था में होगा बदलाव तो पड़ेगा प्रभाव?

  1. सबसे बड़ा बदलाव तो जीरो एफआईआर दर्ज  कराने से आएगा वहीं आपराधिक मामले का फैसला सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर होगा
  2. पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करना होगा. गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.
  3. रेप विक्टिम के बयान पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएंगे वहीं मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के अंदर तैयार करना होगा.
  4. नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध पर बहुत सख्त होगा. बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाता है वहीं नाबालिग के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.
  5. शादी के झूठे वादे करके महिलाओं का शोषण करने वालों के खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.
  6. आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है.
  7. हर तरह की आपराधिक घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की ज़रूरत नहीं होगी.
  8. पुरुष और महिला के अलावा ट्रांसजेंडर को भी नए कानूनों में शामिल किया गया है जो संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को बढ़ावा देता है.

Bureau Report, YT News

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