नवेंदु शेखर झा
निर्भया के बाद कितनी प्रियंका और अंकिता आखिर कब तक लड़कियों के साथ वीभत्स अपराध होते रहेंगे, कब तक शाहरुख हुसैन जैसे अपराधी पलते रहेगें ? आज ये सवाल देेश की हर लड़की के मन में है.
झारखंड के दुमका में 12वीं की छात्रा अंकिता सिंह को एक तरफा प्यार में पड़े एक सनकी हैवान ने ज़िदा जला दिया. आरोपी शाहरुख को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं उसको बचाने के लिए तथाकथित कुछ लोग अंकिता के साथ उसकी फोटो को वायरल कर रहे हैं. क्या है इसकी सच्चाई ? आइए जानते हैं:
क्या है मामला?
झारखंड के दुमका जिले में 23 अगस्त को 14 वर्षीय 12वीं की छात्रा अंकिता सिंह को शाहरुख हुसैन नाम के एक मनचले ने इसलिए पेट्रोल डालकर जला डाला क्योंकि अंकिता ने उसके प्यार को ठुकरा दिया था।
इसके बाद रात को अपने कमरे में अपनी खुशहाल और खूबसूरत जिन्दगी की स्वप्न में मगन, अंकिता चैन की नींद सो रही थी, तब बदले की पागलपन भावना और पूरी तैयारी के साथ शाहरूख हुसैन नाम के हैवान ने दुमका जिले के जरूवाडीह मोहल्ले में स्थित अंकिता के घर के कमरे की खिड़की खोलकर अंकिता के कोमल शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दिया और वहां से फौरन भाग निकला।
90 फ़ीसदी जल गई थी अंकिता :
अचानक नींद खुली तो खुद को आग के चादर में लिपटी देख अंकिता खौफ, पीड़ा और जलन से बेचैन हो गई। चीख, पुकार के बाद परिवार के सदस्यों ने जब देखा तो सबके होश उड़ गए।
अंकिता की मदद के लिए कोई सरकारी व्यस्था प्राप्त नहीं हुई। आनन फानन में घरवालों ने रिक्शे का इंतजाम करके घायल अंकिता को फौरन अस्पताल पहुंचा दिया जहां उसकी हालत को देखकर उसे राजधानी रांची के रिम्स भेजना पड़ा।
90 फ़ीसदी जल चुकी अंकिता ने पांच दिन के कड़े संघर्ष के बाद यह कहते दम तोड दिया कि जैसे मैं तड़प रही हूं वैसे शाहरूख को तड़प तड़प कर मरना चाहिए। इसके बाद उसने दम तोड़ दिया
पुलिस ऑफिसर बनना चाहती थी अंकिता :
घर में सबकी प्यारी अंकिता बचपन से ही पढ़ाई में तेज तर्रार थी। परिवार में पिता के अलावा बूढ़े दादा-दादी, एक छोटा भाई और एक बड़ी बहन थी। पिता की बेबसी और आर्थिक हालात को देखकर 12वीं की छात्रा अंकिता खुद भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी।
प्रतिदिन महज 200 रुपए कमाने वाले ईमानदार पिता पर आर्थिक दवाब ना बढ़े, क्योंकि अंकिता के साथ साथ छोटे भाई की स्कूल फीस और बड़ी बहन की शादी की भी ज़िम्मेदार पिता के कंधे पर ही थी। सिर्फ 2 वर्ष पहले ही कैंसर के कारण अंकिता की मां की भी मौत हो चुकी थी.
हैवान की गिरफ्तारी और हंसी :
जब शाहरुख को गिरफ्तार करके झारखंड पुलिस थाने ले जा रही थी, तो उस हैवान की हंसी इतना बताने के लिए काफी थी कि शाहरूख के मन में कानून का डर नहीं था. मानो वह मन ही मन सोच रहा है कि जैसे इस देश में कानून का सहारा लेकर अनगिनत दोषी बच गए हैं, उसे भी ज़मानत मिल जाएगी, वह भी बच जाएगा वह भी एक दिन इस गुनाह से आजाद हो जाएगा।
पुलिस पर उठे सवाल
पुलिस इस मामले को पहले तो रफा दफा करने की कोशिश में थी, फिर मीडिया में हाईलाइट होने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया वहीं दुमका के उप पुलिस अधीक्षक नूर मुस्तफा पर आरोप लगे कि वे शाहरुख़ के धर्म को देखकर उसकी गिरफ्तारी में नहीं करना चाहते थे, उस पर कड़ी कार्रवाई करने से बच रहे थे। इसके बाद ही उन्हें निलंबित किया गया.
शाहरुख के साथ अंकिता की तस्वीर का क्या है सच?
इस घटना के बाद जहां एक ओर सोशल मीडिया पर जहां ‘जस्टिस फॉर अंकिता लगतार ट्रेंड कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ शाहरुख के साथ अंकिता की एक तस्वीर भी वायरल हो रही है जिसमें तथाकथित तौर पर ये दावा किया जा रहा है कि अंकिता और शाहरुख कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे और दोनों के बीच प्यार था.
शाहरुख के साथ अंकिता की तीन तस्वीरे हैं जिसमें से दो तस्वीरों में अंकिता शाहरुख के साथ कार में सेल्फी लेती नजर आ रही है. वहीं एक तस्वीर में वह शाहरुख के साथ किसी बांध पर फोटो क्लिक करती नजर आ रही है.
वायरल तस्वीरों पर जब अंकिता के घर वालों से बात की गई तो अंकिता के परिवार ने कहा कि ऐसी तस्वीर को फोटोशॉप से भी बनाया गया है ताकि ये साबित हो जाए कि दोनों में प्यार था और इस तरह आरोपी को बचाया जा सके. अब शाहरुख और अंकिता के तस्वीर की सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा
कुछ लोग इस मामले को लव जिहाद से भी जोड़कर देख रहे हैं. उनका मानना है कि हिंदू लड़कियों को मुस्लिम युवक जानबूझ निशाना बना रहे हैं. देश में हर दिन किसी न किसी हिंदू लड़की के साथ इस तरह की वीभत्स घटनाएं होती रहती हैं
वहीं दुमका के निलंबित पुलिस उप अधीक्षक नूर मुस्तफा का संबंध पीएफआई यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ बताए जा रहा है, ये संगठन हमेशा से ही हिंदुओं के खिलाफ जहर घोलता है
ऐसे में हो सकता है कि पीएफआई ने हिंदू लड़कियों को टारगेट करने के लिए शाहरुख़ हुसैन जैसे सिरफिरे को पैसे देता है क्योंकि इसके सबूत पीएफआई के उस लेटर में मिलते हैं जिसमें हिंदू ब्राह्मण, क्षत्रिय, ओबीसी और दलित समाज की लड़कियों को निशाना बनाने के लिए अलग-अलग मूल्य तय किए गए हैं।
बहरहाल मामले की जांच जारी है अब देखना होगा कि अंकिता को न्याय कब मिलेगा?