सुसाइड के मन में आ रहे हैं ख्याल,..’ज़िंदगी’ की जंग कर रही बेहाल…मदद के लिए यहां पर करें कॉल
सुसाइड यानि आत्महत्या. भाग दौड़ भरी इस ज़िंदगी में हर व्यक्ति कोई न कोई जंग लड़ रहा है, कई लोग जीने की जद्दोजहद में जिंदगी की जंग को हार जाते हैं. आज यानि 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है.
सुसाइड यानि खुद को मार देना. सुसाइड प्रिवेंशन डे पर हर साल इस दिन आत्महत्या रोकने के लिए बड़ी बड़ी बातें होती है लेकिन फिर भी आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि आत्महत्या के कारण क्या है और इसका निवारण क्या है?
क्या कहते हैं NCRB के आकंड़े?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े डराने वाले हैं. हाल ही में मेडिकल एंट्रेस टेस्ट नीट का रिजल्ट निकला है जिसमें एक छात्रा ने अपनी सोसायटी के 22वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली क्योंकि वह पास नहीं हो सकी.
ऐसा लगभग बोर्ड एग्जाम से लेकर हर परीक्षा में होता है जहां रिजल्ट में पास न होने पर हमारे युवा छात्र सुसाइड कर लेते हैं. ये लोग जिंदगी की परीक्षा में फेल हो जाते हैं.
NCRB के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर घंटे में 1 छात्र आत्महत्या करता है और हर दिन लगभग 28 लोग आत्महत्या करते हैं।
NCRB के साल 2020 के आंकड़ों पर नज़र डाले तो पता चलता है कि आत्महत्या के कुल 1,53,052 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में ये आंकड़ा 7 प्रतिशत बढ़ गया. 2021 में कुल 1,64,033 मामले दर्ज किए गए थे.
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में महाराष्ट्र में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले सामने आए. महाराष्ट्र में 22,207, तमिलनाडु में 18,925, मध्य प्रदेश में 14,965, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 सुसाइड के केस दर्ज किए गए. बहुत से ऐसे केस होते हैं जो दर्ज नहीं होते, सारे मामले दर्ज हों तो स्थिति और भयावह नज़र आएगी.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों की मानें तो हर साल करीब 7 लाख, 3 हजार लोग दुनिया को अलविदा कह देते हैं. यानी हर रोज करीब 1927 और हर घंटे करीब 80 लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाते हैं.
सुसाइड प्रिवेंशन डे का इतिहास
इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) की शुरुआत साल 2003 में की थी.
तब से हर साल 10 सितंबर को ये दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर आत्महत्या से लोगों को रोकने के लिए और मानिसक स्वास्थ्य से लोगों को जागरूक करने के लिए कई सेमिनार, वर्कशॉप वैगरह का आयोजन होता है. स्वयं सेवी संगठनों, सरकार और जनता के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिए इस दिन का खास महत्व है.
इस दिवस का का उद्देश्य आत्महत्या से लोगों को रोकने के लिए जागरूक करना है. इस साल की थीम है ‘Creating Hope Through Action‘ है.
आत्महत्या के कारण और निवारण:
आज की जिंदगी में इतनी भागदौड़ है, इतनी टफ कंपटीशन है कि सभी के पास बहुत सी समस्याएं हैं. सुसाइड या आत्महत्या का ख्याल किसी व्यक्ति में अचानक नहीं आता है।
जब व्यक्ति बहुत परेशान होता है, हताश होता है या बहुत निऱाश रहता है, तब उसे जीने की चाहत खत्म हो जाती है फिर उसको लगता है कि दुनिया को अलविदा कहना ही एकमात्र कदम है.
ऐसा आभास होते ही उसके आसपास मौजूद लोगों की जिम्मेदारी होती है, वो उसको इमोशनल, मेंटल, और फिजिकल जिसकी जैसी जरूरत हो उसको सपोर्ट करें, ताकि वह खुद को अकेला न महसूस करे।
आत्महत्या से बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि ऐसे व्यक्ति को अकेले नहीं छोड़ना, उससे बात करना, उसकी समस्या का समाधान करना, जरूरत पड़े तो मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास ले जाना.
मन में सुसाइड का आए ख्याल, तो बचने के लिए इन नबंर्स पर करें कॉल
आज के युग में टेंशन और डिप्रेशन बहुत आम बात है लेकिन लोग अब भी मानसिक बीमारियों को सीरियसली नहीं लेते तभी डिप्रेशन के लक्षण आदमी के के व्यवहार और स्वास्थ्य पर दिखने लगते हैं।
भारत सरकार ने अगस्त 2020 में एक मेंटल हेल्थ रिहैबिलिटेशन हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, ये नंबर है 1800-500-0019 इस पर कॉल करके आपकी प्रॉपर काउंसलिंग की जाती है।
अगर मन में सुसाइड का ख्याल आए तो बचने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1075 पर जरूर कॉल करें इसके अलावा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस के टोल फ्री नम्बर 080-46110007 पर कॉल करके भी अपनी समस्या का समाधान ले सकते हैं. इसके अलावा हेल्पलाइन नम्बर 9152987821 पर भी संपर्क कर सकते हैं.
याद रखिए बड़े भाग्य से मनुष्य का जीवन मिलता है. भगवान के दिए इस जीवन को जी भर के जीना चाहिए. हर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कीजिए, लेकिन जिंदगी की हत्या मत कीजिए.