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नहीं रहे द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य, पीएम मोदी ने जताया शोक, जानिए पोथीराम उपाध्याय कैसे बने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती?
क्रांतिकारी साधू के रुप में थी पहचान
शंकराचार्य जी की पहचान एक ऐसे संत की रही है जिनको धार्मिक, आध्यात्मिक, समाजिक और राजनैतिक मुद्दों के विद्वान के रूप में जाना जाता था. वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए उन्हें क्रांतिकारी साधु भी कहा जाता था।
दीक्षा ग्रहण के बाद पोथीराम उपाध्याय की दिलचस्पी आजादी की लड़ाई में भी थी। इसी दौरान 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई। उस समय स्वामी जी उम्र 19 साल थी।
इस उम्र में वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। इसके बाद इनकी पहचान क्रांतिकारी साधु के रूप में बन गई थी। आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और वाराणसी के जेल में बंद कर दिया इसके अलावा वे 6 महीने तक मध्य प्रदेश के एक जेल में भी रहे हैं।
पोथीराम उपाध्याय से बने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
पीएम मोदी ने शोक व्यक्त किया
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कई दिनों से बीमार थे। वह नरसिंहपुर में स्थित अपने आश्रम में रह रहे थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है.
पीएम मोदी ने ट्वीट करके लिखा
‘द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!’