इंडिया-अमेरिका के बीच मजबूत स्वास्थ्य सेवा पर मंथन, अगले 25 वर्षों के लिए इस एजेंडे पर हुआ चिंतन..!!
नई दिल्ली. दुनिया ने पिछले 2 वर्षों में कोविड -19 महामारी का सामना किया है. चीन में कोविड के मामले फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं. इस चिंता के साथ साथ, स्वास्थ्य सेवा सरकारों के लिए प्रमुख नीतिगत ध्यान का केन्द्र बनने जा रही हैं। इसके साथ ही उद्योग सहभागियों के अनुसार, हेल्थकेयर सेक्टर भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला रखने जा रहा है।
19वें इंडो-यूएस इकोनॉमिक समिट “75 इयर्स ऑफ यूएस इंडिया रिलेशंस: द न्यू एजेंडा फॉर नेक्स्ट 25 इयर्स”, समिट के दौरान विशेषज्ञों ने ये बातें कहीं.
इसके अलावा मेडिकल फील्ड में कार्यरत कंपनियों ने सुझाव दिया कि महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने की जरूरत को सामने रखा है।
इसके साथ ही पूरे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को लेकर बनाई जा रही नीतियों पर भी नीति निर्माताओं का काफी अधिक ध्यान केन्द्रित है।
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर पैनल डिस्कशन के दौरान इंडो-अमेरिकन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चेयरपर्सन सुश्री उपासना अरोड़ा ने कहा कि “दोनों देश सभी के लिए सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा के लिए एक साथ काम कर सकते हैं।
अमेरिका.. प्रौद्योगिकी और उपकरण, सॉफ्टवेयर विकास के मामले में बहुत अच्छा काम कर रहा है और हमारे पास कुशल और युवा जनशक्ति है। इसलिए भारत और अमेरिका एक साथ मिलकर काम करने से मेडिकल फील्ड में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका तपेदिक और अन्य बीमारियों के पूरी तरह से खात्मे के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
रेडक्लिफ लैब्स के संस्थापक धीरज जैन ने कहा कि स्वस्थ जीवन शैली प्राप्त करने के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है.
लोगों को अधिक से अधिक टेस्ट करवाने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जाने चाहिए ताकि सही बीमारी का पता चले और उसके अनुसार सही और सटीक इलाज हो.
उन्होंने कहा कि “सरकारी और निजी कंपनियों को लोगों को जागरूक करना चाहिए। एक सर्वे के मुताबिक, 5 में से 4 परिवारों ने कभी अपना कोई टेस्ट नहीं करवाया है. इससे साफ है कि ऐसे लोग कभी किसी डायग्नोस्टिक टेस्ट करवाने के लिए गए ही नहीं है।
ऐसे में इस सेक्टर में नई संभावनाओं पर काम करने के काफी बेहतर अवसर है।” उन्होंने कहा कि “यह लैब में जाने का समय है और परिवारों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।”
हेल्थकेयर पर अत्यधिक ध्यान दिए जाने पर जोर देते हुए केयर कनेक्ट हेल्थकेयर सर्विसेज के सीईओ गौरव पांडे ने कहा कि “कोविड ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में हेल्थकेयर पर फोकस को वापस लाने में अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, देश ने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं. सरकार ने 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है, ऐसे में हमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को विकास का नया वाहक बनाना होगा।”
उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रूप से नॉलेज साझा करने और उसको तेजी से एक-दूसरे को ट्रांसफर करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि “स्वास्थ्य संपूर्ण विकास यात्रा का इंजन बनने जा रहा है। भारत जैसे देश का विकसित देशों के साथ सहयोग, नॉलेज ट्रांसफर और नॉलेज शेयरिंग करना वास्तव में अमृत काल की पूरी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
स्वास्थ्य सेवा पर चर्चा करने वाले अन्य कई प्रख्यात वक्ताओं में सुश्री प्रीता राजारमन, पीएचडी हेल्थ अताशे और रीजनल प्रतिनिधि, अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली, श्री भानु प्रकाश कलमथ एसजे, पार्टनर और सेक्टर लीडर, हेल्थकेयर और लाइफ साइंसेज, ग्रांट थॉर्नटन भारत, डॉ. शुभ्रोज्योति भौमिक, एमडी, क्लिनिकल डायरेक्टर, पीयरलेस हॉस्पिटल और बी के रॉय रिसर्च सेंटर शामिल थे।
“75 इयर्स ऑफ यूएस इंडिया रिलेशंस: द न्यू एजेंडा फॉर नेक्स्ट 25 इयर्स” की थीम पर 19वें इंडो-यूएस इकोनॉमिक समिट का आयोजन 12 और 13 सितंबर 2022 को हुआ था.
समिट में प्रमुख क्षेत्रों में रक्षा और विमानन, बैंकिंग और बीमा, खाद्य और कृषि व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवा, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, जलवायु परिवर्तन और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं। शिखर सम्मेलन में भारतीय और अमेरिकी सरकारों, अमेरिकी दूतावास, कॉर्पोरेट क्षेत्रों और थिंक टैंक के प्रमुख वक्ता और पैनलिस्ट शामिल हुए.