कोलकाता में कोहराम: भ्रष्टाचार पर BJP का आंदोलन वाला ‘वार’, TMC का पुलिस वाला ‘अत्याचार’, जानिए सवालों में क्यों आई ममता सरकार?
कोलकाता. बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ‘सचिवालय चलो मार्च’ का आयोजन किया जिसमें पश्चिम बंगाल के अलग अलग इलाकों से सैकड़ों बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता कोलकाता पहुंचे.
बीजेपी ने ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया था। इसी के तहत सैकड़ों की संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता कोलकाता पहुंच कर धरना प्रदर्शन करने लगे तो पुलिस ने प्रदर्शन के खिलाफ सख्ती दिखाई।
कोलकाता में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भाजपा का नबन्ना चलो मार्च हिंसक हो गया। प्रदेशभर में भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई है। कोलकाता के लाल बाजार एरिया में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ी फूंक दी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जमकर पत्थरबाजी भी की।
भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। इस दौरान कोलकाता से भाजपा पार्षद मीना पुरोहित का सिर फट गया, जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।
पुलिस ने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। ट्रेन और बसों से आने वाले कार्यकर्ताओं को रेलवे स्टेशन और बस टर्मिनल पर हिरासत में लिया जिससे कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई।
‘उत्तर कोरिया की तरह तानाशाही कर रही है ममता सरकार’
सांतरागाछी रेलवे स्टेशन के पास बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ‘बंगाल की जनता ममता बनर्जी के साथ नहीं है, इसलिए वह बंगाल में उत्तर कोरिया की तरह तानाशाही कर रही हैं।’
वहीं एक दूसरे बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल पुलिस अत्याचार कर रही है. तृणमूल कार्यकर्ताओं की बंगाल पुलिस काम कर रही है। पुलिस ने शुभेंदु अधिकारी और लॉकेट चटर्जी समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया है।
कोलकाता हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
वहीं ये हिंसक आंदोलन कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस ज्यादती न करे और किसी भी व्यक्ति को अवैध तरीके से हिरासत में न ले।
ये सुनिश्चित करें कि सार्वजनिक संपत्ति को किसी तरह का नुकसान न हो। कोलकाता हाईकोर्ट ने इस हिंसक आंदोलन को लेकर पश्चिम बंगाल के गृह सचिव से 19 सितंबर को रिपोर्ट मांगी है।
बंगाल सरकार पर उठे सवाल
पश्चिम बंगाल में सियासी हिंसा का इतिहास रहा है. चुनाव के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं की हिंसा में हत्या तक होती रही है. राज्य सरकार का काम कानून व्यवस्था को कायम रखना होता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सरकार पुलिस के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा देती है.
ऐसे में ममता बैनर्जी सरकार पर सवाल उठता है कि हिंसा को वे बढ़ावा क्यों देती है तो दूसरी तरफ बीजेपी को शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाना, तोड़फोड़ और हिंसा करना कहीं से भी जायज नहीं कहा जा सकता.