सप्ताह का साक्षात्कार: हिंदी दिवस पर खा़स मुलाक़ात..प्रख्यात साहित्यकार और हिंदी के प्रोफेसर रहे अब्दुल बिस्मिल्लाह के साथ..!!
भारत एक राष्ट्र है, यहां पर 28 से ज्यादा राज्य हैं. केवल हिंदी भाषी राज्यों के आधार पर हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकती, उसके लिए सभी राज्यों की सहमति अनिवार्य है. सर्वसम्मति और सर्वसहमति से ही हिंदी पूरे देश की भाषा बन सकती है.
हमारे देश को स्वतंत्रता मिलने के लगभग 2 साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया लेकिन राष्ट्रभाषा आज तक नहीं बन पाई इसके पीछे का क्या कारण देखते हैं आप?
आपने सही कहा कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है. आजादी के बाद से ही हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की कोशिशें होती रही हैं लेकिन ये दुर्भाग्य है कि अभी तक ऐसा हो नहीं पाया. महात्मा गांधी ने सबसे पहले 1918 में कहा था कि हिंदी जन जन को जोड़ने वाली भाषा है इसलिए हिंदी को देश की सर्वमान्य भाषा बनाना चाहिए.
भारत एक राष्ट्र है, यहां पर 28 से ज्यादा राज्य हैं. केवल हिंदी भाषी राज्यों के आधार पर हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकती, उसके लिए सभी राज्यों की सहमति अनिवार्य है. सर्वसम्मति और सर्वसहमति से ही हिंदी पूरे देश की भाषा बन सकती है. ये सहमति तभी बनेगी जब हिंदी भाषी लोग भी दक्षिण भारतीय भाषाएं सीखें और बोलें. सभी भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान की मानसिकता बना पाएंगे तभी हिंदी राष्ट्रभाषा बन पाएगी.
नई शिक्षा नीति में हिंदी को प्राइमरी स्तर पर अनिवार्य बनाने की बात कही गई जिसको लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों को लगा कि हिंदी उन पर थोपी जा रही है, ऐसे में हिंदी के प्रति सहमति कैसे बन पाएगी
देखिए ऐसा है कि कोई भी भाषा किसी पर जबरन थोपी नहीं जा सकती. पहली से पांचवीं तक की शिक्षा का माध्यम स्थानीय बोली पर आधारित मातृभाषा होनी चाहिए उससे बच्चा आसानी से सीखता है. इसके साथ ही हिंदी भी पढ़ाई जानी चाहिए. स्थानीय भाषा, क्षेत्रीय भाषा और राष्ट्रीय भाषा इन तीनों को साथ लेकर चलना होगा.
मीडिया और फिल्में किस तरह से हिंदी भाषा के प्रसार और प्रसार में भूमिका निभा सकता है.
हिंदी फिल्मों की वजह से विदेशों में हिंदी की लोकप्रियता बहुत बढ़ी है. राजकपूर की फिल्में जापान जैसे देश में खूब चलती हैं. वहीं हिंदी मीडिया भी हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है लेकिन आजकल का मीडिया हो फिल्में, वे भाषा को संवार कम रही हैं बिगाड़ ज्यादा रही हैं. हिंदी अग्रेजी मिलाकर हिंग्लिश बना दी गई है, भाषा के लिखने से लेकर बोलने तक में बहुत गलतियां की जाती हैं जो सही नहीं है, आकाशवाणी और दूरदर्शन की भाषा फिर भी काफी हद तक सही है लेकिन प्राइवेट समाचार चैनल को हिंदी की दुर्दशा कर रहे हैं.
आज भी अंग्रेजी की तुलना में हिंदी में लिखना और बोलना ज्यादा बेहतर माना जाता है. पैरेंट्स भी अपने बच्चे को अंग्रेजी सिखाने में ज्यादा जोर देते हैं ऐसे में हिंदी की क्या दशा और दिशा देखते हैं आप?