पीएम गति शक्ति योजना:35 साल तक लीज पर रेलवे की जमीन देने का प्रावधान..जानिए इस योजना के फायदे-नुकसान..!!
रश्मि शंकर
इस योजना के तहत रेलवे की खाली पड़ी जमीनों पर स्कूल और अस्पताल बनाया जाएगा । इसी के साथ कार्गो टर्मिनल बनाने सहित सार्वजनिक उपयोग के लिए रेलवे की जमीन उपलब्ध होगी और सोलर प्लांट भी लगाया जाएगा।
पीएम गति शक्ति योजना के फायदे
पीएम गति शक्ति योजना के तहत रेलवे का खाली भूखंड निजी क्षेत्र को उपयोग के लिए 35 साल की लीज पर दिया जा सकेगा। कार्गो टर्मिनल के लिए बाजार दर की अपेक्षा मात्र 1.5% की दर पर यह उपलब्ध होगा।
इसके अलावा अस्पताल और स्कूल के लिए 1 रुपए प्रति वर्गमीटर प्रति वर्ष के मामूली वार्षिक शुल्क के साथ भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा। पीएम गति शक्ति फ्रेमवर्क के लिए नई भूमि नीति निर्धारित की गई है।
300 पीएम गति शक्ति कार्गो होंगे विकसित
इस योजना में प्रावधान है कि 300 पीएम गति शक्ति के तहत कार्गो टर्मिनलों को विकसित किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इससे अगले 5 साल और लगभग 1.2 लाख रोजगार होंगे।
इससे रेलवे का भार कम होगा। निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति, सीवेज निपटान, शहरी परिवहन जैसी सार्वजनिक सेवा के तहत उपयोग के लिए भी रेलवे के भूखंड उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
योजना के लिए एक साथ आ रहे 16 मंत्रालय
पीएम गति शक्ति योजना लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने, फिजूलखर्ची से बचने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मजबूत बनाने उद्देश्य से शुरू की गई है।
इस योजना के तहत केंद्र सरकार 16 मंत्रालयों एक साथ मिल कर काम करेंगे। 14 विभागों में से 11 विभाग पोर्टल से जुड़कर जरूरी सूचनाओं के कलेक्शन और अपलोडिंग का कार्य कर चुके हैं, बाकी विभाग भी जल्द ही डाटा संकलित कर लेंगे।
पीएम गति शक्ति योजना से नुकसान !
एक तरफ़ सरकार इस योजना की जमकर तारीफ़ कर रही है तो दूसरी तरफ़ इसका विरोध भी हो रहा है। सबसे ज्यादा विरोध 35 साल की लीज पर रेलवे की जमीन को देने का हो रहा है. विरोध करने वालों का कहना है कि इससे निजी क्षेत्र कब्जा कर लेगा।
रेलवे में निजी क्षेत्र के लगातार बढ़ते दखल का विरोध कई संगठन कर रहे हैं। NFIR के सिकंदराबाद बाद में हुए रेलवे कर्मचारियों के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी इसका जमकर विरोध किया गया।
एक रेलवे कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रेलवे के विकास में अपना खून पसीना बहाने वाले कर्मचारियों के घरों की हालत जर्जर है। उनको दिए गए क्वाटरों की बदतर हालत है. इसको सुधारने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है।
सिर्फ निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है। मुंबई में भी रेल कर्मचारियों के काम करने की जगह से लेकर उनके रहने तक व्यवस्था ख़राब है।