नई दिल्ली. सरकार ने यूएपीए कानून के तहत पीएफआई पर 5 साल का बैन लगा दिया है। इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है. इसके बाद पीएफआई के नवी मुंबई में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पीएफआई का होर्डिंग हटाया गया।
PFI पर UAPA के तहत क्यों लगा बैन
पीएफआई पर टेरर कनेक्शन, टेरर फंडिंग और टेरर प्लानिंग के गंभीर आरोप है. इस संगठन के आईएसआईएस जैसे अतंर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन के साथ भी लिंक होने की ख़बरें आई है. पीएफआई पर 27 मर्डर, 87 अटेम्ट टु मर्डर का भी आरोप है.
हाल ही में NIA और ED ने देशभर में PFI और इससे जुड़े संगठनों पर छापेमारी की और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए. इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय ने PFI पर 5 साल का बैन लगा दिया.
केंद्र सरकार ने ये कार्रवाई यूएपीए की धारा 35 के तहत की है. इस धारा के तहत केंद्र सरकार को ये अधिकार होता है कि कोई संगठन अगर आतंकी गतिविधियों में शामिल है तो उस पर बैन लगाया जा सकता है.
कोई भी संगठन जो आतंकी वारदात में शामिल हो, आतंकवाद को बढ़ावा देता हो, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से देश के भीतर दंगे फसाद करवाता हो उस पर बैन लगाया जाता है.
संगठनों पर पहले भी लगा है बैन
सरकार समय समय पर आतंकी गतिविधियों पर लिप्त होने के आरोप में संगठनों पर बैन लगाती रही है.
साल 2016 में सरकार ने जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर बैन लगया था इससे पहले नाइक के बैंक अकाउंट और चल-अचल संपत्तियों को जब्त भी किया था।
इससे पहले SIMI यानि स्टूडेंट इस्लॉमिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर भी बैन लगाया गया है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक SIMI का बदला स्वरूप PFI है।
बैन करने से क्या होगा?
किसी भी संगठन को बैन करने के बाद उस संगठन के सदस्यों की गिरफ्तारी होती है, संगठन की संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है. आरोपियों की बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए जाते हैं.
एजेंसियां अब पीएफआई और उसके नेताओं की संपत्तियों को जब्त भी कर सकती है। इसके अलावा पीएफआई के ऑफिस बंद कर दिए जाएंगे. प्रशासन संगठन के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स हटा देगा.
बैन से किसको मिला ‘चैन’?
जिस तरह से बॉर्डर पर दुश्मन देशों से हमारी सेना है, हमारे बहादुर जवान निपटते हैं उसी तरह से देश के अंदर दंगा-फसाद और आतंक फैलाने की साजिश रचने वालों पर सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है. पीएफआई पर बैन लगने से आतंक के विरुद्ध लड़ाई में मदद मिलेगी. इससे वे लोग बेहद खुश हैं जो देश में आतंक का अंत चाहते हैं.
बैन से कौन हुए ‘बेचैन’?
असुद्दीन ओवैसी और लालू प्रसाद यादव जैसे कई नेता सरकार की इस कार्रवाई से बेचैन हो गए हैं. लालू ने कहा है कि आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगे. ओवैसी ने कहा है कि कुछ लोगों की गलत हरकतों की वजह से पूरे संगठन को बैन करना गलत है.
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