नवरात्र के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा से दूर होती है हर व्यथा…जानिए मां के इस स्वरूप से जुड़ी कथा?
आरती कुमारी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि विधान से मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को किसी तरह का डर या भय नहीं लगता. भक्तों की दुख दूर होता है । मां कालरात्रि अंधकार का विनाश कर दानवों का नाश करती हैं।
क्या है मां कालरात्रि से जुड़ी कथा?
मां कालरात्रि से जुड़ी एक पौराणिक कथा है इसके अनुसार एक रक्तबीज नाम का राक्षस था। मनुष्य के साथ देवता भी इससे परेशान थे। रक्तबीज राक्षस को वरदान मिला था कि जैसे ही उसके रक्त की एक बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा एक और दानव बन जाता था।
इस राक्षस से परेशान होकर समस्या का हल जानने सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव को ज्ञात था कि इस दानव का अंत माता पार्वती कर सकती हैं।
भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया। इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति व तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस रूप में मां पार्वती कालरात्रि कहलाई।
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां कालरात्रि की उपासना करने से इंसान के अंदर की आसुरी शक्तियां नष्ट होती है. देवी दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा से अज्ञान का अंधकार मिटता है और ज्ञान का उजाला फैलता है.
मां कालरात्रि के नाम से तमाम असुरी शक्तियां दूर भागती हैं। इसलिए देवता, दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।
मां कालरात्रि स्वरूप
मां दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि के नाम से जाना जाता है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में मूंड माला । अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।
मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। मां इतनी क्रोधित होती हैं की जब वो चलती है तो उनके पैरों एवं मुख से अग्नि निकलती हैं। ये गर्दभ की सवारी करती हैं।
बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं।
मां कालरात्रि का भोग क्या है?
मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद है। इसलिए महा सप्तमी के दिन माता रानी को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।