एयरफोर्स को मिला पहला स्वदेशी कॉम्बैट हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’: इसकी ताक़त जानकर दुश्मन रह जाएंगे दंग..!!
पीआईबी.
‘प्रचंड’ नाम के इस हेलिकॉप्टर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये हेलीकॉप्टर तपते रेगिस्तान और बर्फीले पहाड़ों से लेकर हर तरह के मौसम में दुश्मनों पर वार कर सकता है.
क्या है कॉम्बैट हेलिकॉप्टर की खासियत?
इस हेलीकॉप्टर की कैनन से हर मिनट में 750 गोलियां दागी जा सकती हैं, इसके अलावा इस हेलीकॉप्टर में एंटी टैंक और हवा में मारने वाली मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं जिससे दुश्मनों पर हमला करने में आसानी मिलेगी। एयरफोर्स के 15 पायलट्स को इस हेलीकॉप्टर के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है
जोधपुर एअरबेस में ‘प्रचंड’ हुआ शामिल
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोधपुर एयरबेस से ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर को एयरफोर्स में शामिल किया. इसके पहले विधिवत पूजा-पाठ किया गया. पूजा में चारों समुदाय के धर्म गुरु मौजूद रहे। कार्यक्रम के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘प्रचंड’ में उड़ान भरी।
इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि LCH को वायु सेना में शामिल करने के लिए नवरात्र से अच्छा समय और राजस्थान की धरती से अच्छी जगह नहीं हो सकती है।
LCH के शामिल होने से वायुसेना की शक्ति बढ़ेगी। देश की अपने देश में विकसित तकनीक पर गर्व है। भारत का विजय रथ तैयार है। LCH सारी चुनौतियों पर खरा उतरा है। प्रचंड वार से दुश्मनों के हौसले खंड-खंड होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत आने वाले समय में सुपर पावर वाले देशों में शामिल होगा। भले ही इस हेलीकॉप्टर के नाम में ‘लाइट’ जुड़ा हो, लेकिन ये बहुत ‘हैवी’ करेगा।
कितनी लागत से मिली ‘प्रचंड’ ताकत?
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस हेलीकॉप्टर के निर्माण में लगभग 22 साल लगे और लगभग 3885 करोड़ रुपए लगे. इतनी लागत से बने 15 LCH बनाए जाएंगे जिनमें से 10 एयरफोर्स में शामिल होंगे.
इस हेलीकॉप्टर की क्यों पड़ी जरूरत?
दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की तरफ से काफी उंचाई से हमले किए जा रहे थे इसलिए भारतीय सेना को दिक्कतें हो रही थीं.
ऐसे में अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर हमला करने वाले हेलिकॉप्टर होते तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने में आसानी होगी. अब इस हेलीकॉप्टर के जरिए सेना पहाड़ों की चोटी पर बैठी पाक सेना के बंकरों को उड़ा सकती है।
जब सेना ने इस संदर्भ में रक्षा अधिकारियों को बताया तो हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इस तरह के हेलीकॉप्टर बनाने की जिम्मेदारी ली. इस तरह से इस प्रचंड प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ।