केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की घोषणा, जानिए क्यों बंद किए जाते हैं कपाट?
शीतकाल के दौरान चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल भी बंद हो गया है. अगले साल की चारधाम यात्रा के लिए अब ये पोर्टल अप्रैल-मई में शुरू किया जाएगा.
गंगोत्री धाम के कपाट सबसे पहले होंगे बंद
सर्दियों के मौसम में हर साल चारो धाम के कपाट बंद किए जाते हैं. चारों धाम में सबसे पहले गंगोत्री धाम के कपाट बंद होंगे. दिवाली के बाद 26 अक्टूबर को होने वाली गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर बंद होंगे.
यमुनोत्री के कपाट भी होंगे बंद
यमुनोत्री धाम के कपाट 27 अक्टूबर बंद होंगे. इस दिन भैयादूज है, इसी दिन यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करते हुए डोली उठाई जाएगी. यह डोली खरसाली गांव के लिए रवाना होगी, जहां वे अगले साल कपाट खुलने तक दर्शन देंगी.
29 अक्टूबर को बंद होंगे बाबा केदारनाथ के कपाट
बाबा केदारनाथ अपना शीतकालीन प्रवास ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में करते हैं. केदारनाथ धाम से मंत्रोच्चार के बीच 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ की डोली 27 अक्टूबर को भैयादूज पर्व के दिन ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना होगी.
यह डोली दो दिन रात्रि प्रवास करते हुए 29 अक्टूबर को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी. इसके बाद बाबा केदारनाथ धाम के कपाट बंद होंगे.
आखिर में बंद होंगे श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट
सबसे आखिर में श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे. बदरीनाथ धाम के पुजारियों के मुताबिक भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को दोपहर 3.55 बजे मंत्रोच्चार के साथ बंद किए जाएंगे.
क्यों बंद किए जाते हैं कपाट?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल लगभग 12 लाख श्रद्धालुओं ने भगवान बद्रीनाथ के दर्शन किए। ब्रदीनाथ धाम की पूजा करने वाले मुख्य पुजारी को ‘रावल’ कहते हैं। शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा के मुताबिक़ रावल दक्षिण भारत के ब्राह्मण परिवार से होता है। चार धाम यात्रा के दौरान रावल ही भगवान बदरीनाथ की पूजा करते हैं।
कपाट बंद होने के बाद ‘रावल’ को भी बद्रीनाथ धाम में रुकने की अनुमति नहीं होती। वे भी वापस चले जाते हैं और कपाट खुलने के वक्त फिर आ जाते हैं. कपाट बंद किए जाने के पीछे धार्मिक मान्यता ये है कि देवर्षि नारद और बाकी देवी-देवता बदरीनाथ की पूजा-अर्चना करने चारो धाम आते हैं, इसलिए इंसानों के लिए उस वक्त कपाट बंद कर दिए जाते हैं।