प्रोजेक्ट मंदार : ‘डॉक्टरी’ की पढ़ाई में अब भाषा नहीं बनेगी बाधा….इस राज्य में हिंदी मीडियम में होगी ‘मेडिकल’ की पढ़ाई
प्रीती गुप्ता
डॉक्टरी की पढ़ाई करना आसान नहीं है। मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी भाषा में की जाती थी लेकिन अब डॉक्टरी की पढ़ाई हिंदी में की जा सकेगी.
मेडिकल एजुकेशन में क्रांति
आज से देश में हिंदी में चिकित्सा शिक्षा का नया अध्याय शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जहां मेडिकल एजुकेशन हिंदी में होगी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल की लाल परेड ग्राउंड में एमबीबीएस हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक का विमोचन किया।
इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि देश में आज का दिन मेडिकल एजुकेशन क्षेत्र में क्रांति का दिन है. मोदी सरकार देश की भाषाओं में मेडिकल, इंजीनियरिंग और टेक्निकल की पढ़ाई करवाने की दिशा में काम कर रही है.
यूक्रेन, रूस, जापान, चीन, किर्गिजिस्तान और फिलीपींस जैसे देशों की सूची में भारत भी शामिल हो गया है… जहां मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में होगी।
एमबीबीएस के करीब 10% विद्यार्थी तब से हिंदी या फिर अंग्रेजी और हिंदी के मिले-जुले वाक्य परीक्षाओं में लिख रहे थे। उन्होंने कहा कि अब हिंदी में किताबें उपलब्ध होने पर विद्यार्थियों के लिए परीक्षा में रखना और आसान हो जाएगा। नेशनल मेडिकल कमिशन की भी है बाध्यता नहीं है कि उत्तर अंग्रेजी में ही लिखे जाए।
क्या है प्रोजेक्ट मंदार?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की तीन किताबों का विमोचन किया। इन किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है। अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने में किया है। एमबीबीएस की किताबों का हिंदी में अनुवाद करने के प्रोजेक्ट का नाम मंदार है।
एमपी के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि हिंदी किताबें एमपी के मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और हिंदी के जानकारों ने तैयार की है। मंदार से आशय है कि जिस प्रकार समुद्र मंथन से मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकला था। ठीक उसी तरह अंग्रेजी किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है।
कैसे किया गया अनुवाद?
अंग्रेजी की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा गया। जिससे विद्यार्थियों को पढ़ने में किसी कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। मेडिकल के अंग्रेजी किताब का हिंदी में अनुवाद करते समय शब्दों के सही मायने हिंदी में ना बदले इसका विशेष ध्यान रखा गया।
यदि शब्दों के मायने हिंदी में बदल जाएंगे तो उसे समझना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए स्पाइन जैसे शब्दों को हिंदी में मेरुदंड नहीं लिखा गया है। एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की तीन किताब बायोकेमेस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी को देवनागरी लिपि में तैयार किया गया है। जिनके हिंदी में शब्द उपलब्ध नहीं है उन्हें देवनागरी में लिखा है।
2018 में शुरू हुई थी प्रक्रिया
अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद करने की प्रक्रिया मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने वर्ष 2018 में शुरू की थी। इसके परिणाम अच्छे ही रहे हैं। इस साल एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की हिंदी में भी पढ़ाई कराई जाएगी।