डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का ये आविष्कार बना वरदान…हैजा और दस्त के रोगियों की बचा रहा है जान..!!
डॉ दिलीप का जन्म 12 नवंबर, 1934 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने कोलकाता और लंदन से अपनी स्टडीज पूरी की. वे 1960 के दशक में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल सेंटर फॉर मेडिकल रिसर्च एंड ट्रेनिंग में शामिल हुए. यहाँ पर उन्होंने ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी में रिसर्च किया था।
शरणार्थियों की बचाई जान
1971 के युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान से कई लोगों ने भारत में आकर शरण ली थी. दरअसल इन शरणार्थियों का शिविर बहुत ही गंदा था. यहां पर पीने का पानी बेहद गंदा था. खाने का सामान भी अच्छा नहीं था जिसकी वजह से बच्चों में पहले दस्त की शिकायत हुई फिर हैजा फैल गया, देखते ही देखते सैकड़ों लोग इसकी चपेट में आ गए.
ऐसे में डॉक्टर दिलीप मरीजों के लिए भगवान बनकर आए. वे दिल्ली से अपनी टीम के साथ ऐसे शिविरों में पहुंचे, बच्चों और बड़ों का इलाज किया. दवाइयां की कमी थी तो डॉ दिलीप ने नमक और चीनी का घोल बनाकर मरीजों को दिया. इससे मरीजों के शरीर में हुई पानी की कमी दूर हुई.
इसके कई सालों बाद उन्होंने एक इंटरव्यु में बताया था कि चीनी और नमक के घोल में सारे जरूरी रासायनिक तत्व थे. उनके मुताबिक 1 लीटर पानी में 22 ग्राम ग्लूकोज, 3.5 ग्राम सोडियम क्लोराइड और 2.5 ग्राम सोडियम बाइकार्बोनेट शामिल थे। यह सबसे सरल घोल था जो हैजा के इलाज के लिए प्रभावी सिद्ध हुआ था.
“20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा खोज”- द लैसेंट जर्नल
जब इस घोल का सेवन करने के बाद दस्त और हैजा के मरीजों को दो से तीन हफ्तों में आराम मिलता गया, वे स्वस्थ होते गए और मृत्यु दर भी कम होती चली गई. इसके बाद प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ ने इसे “20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा खोज” कहा। इसके बाद दुनिया भर में ओआरएस को प्रयोग में लाया जाने लगा.
WHO ने दिया सम्मान..29 जुलाई को ORS दिवस मनाने का एलान
WHO ने भी डॉ. दिलीप के इस आविष्कार को मान्यता दिया और महत्व भी दिया. WHO ने ऑफिशियल तौर पर हैजा और दस्त जैसे रोगों के लिए ORS को मुख्य दवा के रूप में अपनाया. इसके साथ ही ये ऐलान भी किया कि हर साल 29 जुलाई को ओआरएस दिवस मनाया जाएगा.
डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का 16 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया. भले ही वे अब हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनका आविष्कार लोगों की जान बचाता रहेगा और लोग उन्हें याद करते रहेंगे.