दिवाली स्पेशल: ये हैं मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों वाले 10 प्रसिद्ध मंदिर…दर्शन मात्र से धन-धान्य से भरा रहेगा आपका घर..!!!
ऐश्वर्या जौहरी
गणेश-लक्ष्मी की पूजा हिंदुओं के लिए प्रमुख पूजा होती है. हमारे देश में देवी लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों को समर्पित कई मंदिर हैं। पूरे देश में लक्ष्मी माता को विभिन्न रूपों और अवतारों में पूजा जाता है।
1.अष्टलक्ष्मी मंदिर, चेन्नई-
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में ये मंदिर इलियट बीच के पास स्थित है. अष्टलक्ष्मी मंदिर परिसर में देवी लक्ष्मी के सभी आठ अवतारों वाले मंदिर है। इसकी खास बात यह है कि यहाँ देवी लक्ष्मी के 8 रूपों की मूर्तियाँ स्थापित हैं इसीलिए इस मंदिर को ‘माता अष्टलक्ष्मी मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. दूर दूर से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं.
इस मंदिर की लंबाई 65 फीट और चौड़ाई 45 फीट है। मंदिर की नींव 1974 में रखी गई थी और इसकी वास्तुकला उथिरामेरुर में सुंधिराजा पेरुमल मंदिर से प्रेरित है।
2. श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर, वेल्लोर-
इस मंदिर का निर्माण 1500 किलो शुद्ध सोने से हुआ है जिसमें श्री लक्ष्मी नारायणी की 70 किलो की सोने की मूर्ति स्थापित है। ये मंदिर अंदर और बाहर से शुद्ध सोने की पन्नी से ढका हुआ है जिससे इसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। सात वर्षों में बने इस मंदिर में एक तारे के आकार का पथ है जो श्री चक्र को प्रदर्शित करता है।
3.लक्ष्मी देवी मंदिर,हसन
लक्ष्मी देवी मंदिर हसन जिले के डोड्डागड्डावल्ली गाँव में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा विष्णुवर्धन ने करवाया था। इस मंदिर के चारों ओर नारियल के बागानों के साथ एक खूबसूरत झील है। आसपास की सुंदरता बहुत शानदार है।इस खूबसूरत मंदिर की ओर जाने के लिए ग्रेनाइट सीढ़ियाँ हैं। लक्ष्मी देवी का मुख्य मंदिर परिसर के अंदर स्थित है।
4.लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिरला मंदिर),दिल्ली
यह मंदिर भगवान लक्ष्मीनारायण को समर्पित है जिन्हें भगवान विष्णु के रूप में जाना जाता है। भगवान नारायण और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ यहाँ स्थापित हैं इसलिए इस मंदिर को लक्ष्मीनारायण मंदिर कहा जाता है।
मंदिर में एक गीता भवन भी है जिसका उपयोग प्रवचनों के लिए किया जाता है। दीवाली के दौरान इस मंदिर की सजावट देखते ही बनती है. दिवाली पर लक्ष्मीनारायण मंदिर में भारी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं।
5.महालक्ष्मी मंदिर,कोल्हापुर-
कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में पंचगंगा नदी के किनारे स्थित है।यह मंदिर का बहुत अधिक धार्मिक महत्व बताया जाता है. दुनिया में देवी लक्ष्मी के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है. ये देवी लक्ष्मी को समर्पित एक तीर्थस्थल है।
एक पत्थर के चबूतरे पर स्थापित मुकुट वाली देवी की मूर्ति जेम्स्टोनस से बनी है और इसका वजन लगभग 40 किलोग्राम है। काले पत्थर में तराशी गई महालक्ष्मी की प्रतिमा की ऊंचाई 3 फीट है। मंदिर की एक दीवार पर ‘श्री यंत्र’ भी बना हुआ है। मूर्ति के पीछे एक पत्थर का शेर भी दिखाई देता है। मुकुट में विष्णु के नाग शेषनाग की छवि भी प्रदर्शित की गई है।
6.महालक्ष्मी मंदिर,मुंबई-
पौराणिक कथाओं के अनुसार 1875 में जब अंग्रेजों के साथ एक हिंदू इंजीनियर वर्ली मालाबार हिल के निकटवर्ती मार्ग का निर्माण कर रहे थे तो समुद्र की लहरों ने हमेशा उनकी टीम को परेशान किया। हर बार जब नींव रखी जाती थी तो समुद्र की लहरें तेज़ी से आ कर उसे नष्ट कर देती थी।
फिर एक रात देवी लक्ष्मी ठेकेदार के सपने में प्रकट हुईं और उन्हें समुद्र से तीन मूर्तियों को लाने और उसी स्थान पर एक मंदिर स्थापित करने का आदेश दिया। जब तक तीनों मूर्तियों को समुद्र से नहीं लाया गया तब तक कंस्ट्रक्शन का काम शुरू नहीं हो पाया। इस तरह सबसे प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर अस्तित्व में आया।
मंदिर में प्रवेश करते समय मुख्य द्वार पर सबसे लुभावनी नक्काशी का काम देखा जा सकता है। मंदिर परिसर में महालक्ष्मी जी की एक सुंदर और अलंकृत मूर्ति हैं। मंदिर के गर्भगृह में एक साथ महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती की मूर्तियाँ स्थापित हैं जो हमेशा से इस मंदिर का मुख्य आकर्षण बनी हुई हैं।
7.महालक्ष्मी मंदिर इंदौर-
अहिल्या की नगरी के इंदौर में ये प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर स्थित है. यहां पर देश-विदेश से भक्त दर्शन करने आते हैं। यहाँ हर साल दीपावली पर पीले चावल देकर माता को आमंत्रित कर घर ले जाने के लिए भक्त जुटते है.
यह क्रम 189 साल से यानि 1833 से चला आ रहा है। दीपावली पर महिला-पुरुषों की एक-एक किलोमीटर लंबी कतारें सुबह से देर शाम तक लगती हैं।
इसके अतिरिक्त यहाँ माता को अर्पित चावल कई भक्त बरकत के लिए अपने घर ले जाकर तिजोरी और दुकान के गल्ले में भी रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साल भर घर में धन-धान्य रहता है और सुख, शांति और समृद्धि का वास रहता है।
8.लक्ष्मी जी मंदिर वृंदावन–
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार जब भगवान कृष्ण मधुवन में नृत्य कर रहे थे तो माँ लक्ष्मी उन्हें देखने आई थीं लेकिन भगवान कृष्ण ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि यह उनके यहाँ आने का सही समय नहीं है और कलियुग के दौरान उनकी पूजा की जाएगी।
आज यहाँ एक बड़ा मंदिर बन गया है और महीने के सभी गुरुवार को मेले का आयोजन किया जाता है। वहाँ पर भारी भीड़ देखी जा सकती है। यहाँ इस पूरे महीने में खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है.
मीलों की दूरी तय करने के बाद सभी लोग इस विश्वास के साथ यहाँ आतें हैं कि अगर उनको लक्ष्मी के दर्शन होंगे तो उन्हें इस समय में उनका आशीर्वाद मिलता है।
9.महालक्ष्मी मंदिर, रतलाम
मध्यप्रदेश के रतलाम में महालक्ष्मी मंदिर स्थित है. ये हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखता है। दीवाली के प्रमुख हिंदू त्योहार के दौरान इस मंदिर को नकदी,सोने और चाँदी के गहनों से सजाया जाता है।
लोग अपने कीमती सामान को सच्चे विश्वास में सौंप देते हैं और त्योहार खत्म होने के बाद उन्हें वापस ले लेते हैं। जो इस जगह की विशिष्टता को जोड़ता है। मंदिर के मुख्य पुजारी आभूषण और कीमती सामान स्वीकार करते हैं जो मंदिर के गर्भ गृह के अंदर रखे जाते हैं। मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहाँ पर जो भी भेंट के रुप में चढ़ाया जाता है वो उसी साल के अंत में दोगुनी हो जाती है।
दीवाली के बाद जो भी भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए जाता है उसे प्रसाद के रुप में आभूषण दिए जाते हैं। साथ ही नकदी भी दी जाती है। इस प्रसाद को लेने के लिए भक्त दूर-दूर से यहाँ पर आते हैं। भक्तों का कहना है कि वे इस प्रसाद को शगुन मानकर कभी भी खर्च नहीं करते हैं बल्कि सँभालकर रखते हैं।
10.गजलक्ष्मी मंदिर उज्जैन-
माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित इस मंदिर में माँ लक्ष्मी गज पर सवार हैं। नई पेठ क्षेत्र स्थित इस मंदिर में दीपावली पर 5 हजार लीटर दूध से अभिषेक किया जाता है.
व्यापारी यहाँ से बही खाते लिखने की शुरुआत करते है। कहा जाता है कि यहाँ माँ लक्ष्मी चमत्कारी शक्ति से परिपूर्ण हैं जो दिन में तीन बार रूप बदलती हैं।