‘कोरोना रिटर्न्स’: देश भर में हो रहे प्रदर्शनों से सकते में आई चीनी सरकार…इकोनॉमी पर बड़ा प्रहार…’एप्पल’ जैसी कंपनियां समेट रही हैं कारोबार..!!
केशव झा
कोरोना नाम की बीमारी और परेशानी चीन से ही शुरू होकर पूरी दुनिया में पहुंच गई थी. सरकार की बेहद सख्त कोविड पॉलिसी की वजह से चीनी लोग बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, देश के अलग अलग हिस्सों में चीनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में बहुत तेजी आ गई है अभी भी बहुत शहरों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लोग राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नारे लगा रहे हैं जिसके बाद सरकार को नियमों में थोड़ी राहत दी गई है.
चीनी की अर्थव्यवस्था हुई बेहाल
कोविड पॉलिसी से चीन की अर्थव्यवस्था को भी बहुत नुकसान हुआ है. चीन में 2002 में मध्य वर्ग की आबादी 75 लाख के आसपास थी, जो आबादी का एक फीसदी हिस्सा था, वह आज बढ़ कर 25 प्रतिशत तक हो चुका है.
कोरोना संबंधी नीतियों के कारण स्थिति बिगड़ रही है. चीन में बेरोजगारी दर 19 फीसदी के आसपास पहुंच चुकी है. जो कंपनियां महामारी से जुड़ी चीजें उत्पादित करती हैं, उनकी कमाई तो लगातार तेजी से बढ़ी है, लेकिन बाकी उद्योग बंद होने की कगार पर हैं.
चीन से मल्टीनेशनल कंपनियां समेट रही हैं कारोबार
कोरोना पॉलिसी की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक एप्पल (Apple Inc) ने चीन में अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है…
सबसे बड़ी एप्पल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को बार-बार बंद करना पड़ रहा है. विदेशी निवेशकों का रुख चीन से कम होता जा रहा है.
भारत का रूख कर रही हैं कंपनियां
कोविड को लेकर चीन के अडिय़ल रुख का फायदा भारत को होता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं दूसरी ओर कभी चीन पर भरोसा दिखाने वाले विदेशी निवेशकों ने अब भारत की ओर रुख कर लिया है.
दुनियाभर में बढ़ती महंगाई और सेंट्रल बैंकों की ओर से ब्याज दरों में इजाफे की वजह से एफआईआई ने भी भारत के बाजारों से पैसा निकाला था, लेकिन नवंबर के महीने में एफआईआई ने 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया है.
कोविड लॉकडाउन के कारण चीनी बाजारों में लगातार गिरावट की ओर है, जबकि भारतीय बाजारों में लगातार तेजी आई है.