शोर है बेइंतहा….फिर भी हैं खामोशियां…!! पढ़िए दिल को छू जाने वाली कविताएं…!!
रश्मिशंकर
शोर तो बहुत है यहां …
मगर खामोशियां साफ साफ दिखती हैं
करोड़ों की भीड़ है , मगर
तन्हाइयां साफ साफ दिखती हैं !
जिंदगी कि यह जंग सब जीतना चाहते हैं
मगर , विपत्तियां अपरंपार दिखती हैं
ये बडे़ शहर रंगीन तो बहुत होते हैं !
मगर तबाहियां साफ साफ दिखती हैं
इज़्ज़त, नाम, नेकी , सच्चाई…
इतना ही बस रहा उसके नाम !!
दिल जान इश्क मोहब्बत…
ये जिनकी आए लोग तमाम !!
वो शख्स जिसपर ताउम्र रहा…
धन संपत्ति का गुमान !!
सोने , चांदी , हीरे दौलत…
सब छोड़ गया वो श्मशान !!
सब छोड़ गया वो श्मशान !!
ये लम्हा अगर तेरा है
तो वो मंजर भी तेरा ही कहलाएगा
ये मंजिल अगर तेरी है
तो वो रास्ता भी तेरा ही कहलाएगा
ये अमृत अगर तेरा है
तो वो ज़हर भी तेरा ही कहलाएगा
यूं हर बात पर गुरुर नही करते ए इंसान
की सासें अगर तेरी है
तो वो कफ़न भी तेरा ही कहलाएगा
तो वो कफ़न भी तेरा ही कहलाएगा
छोटी सी चिंगारी देखकर
पूरी दरिया बुलाया नहीं करते
मुट्ठी भर मुश्किलें सूंघकर
पूरी हिम्मत हार जाया नहीं करते
और यहां अपने ही लोग माहिर हैं
पीठ पीछे वार करने में
मगर रख ली जाती है दिल में दुश्मनी
हम सरेआम सबकुछ जताया नहीं करते
हम सरेआम सबकुछ जताया नहीं करते
जब रास्ते का कांटा हमको चुभा , तो सब हंस दिए
ये गहरा ज़ख्म दिखा तो सबको , मगर …
न किसी की हमदर्दी मिली न , तबियत पूछे !
अपनी मोहब्बत में हम हारे , तो कोई न समझा
जब अपनी अपनी , सब हारे तो सब समझे!