Star behind the Screen: केबीसी शो में इनके लिखे डॉयलॉग पढ़ते हैं अमिताभ बच्चन, जानिए केबीसी शो से कैसे जुड़े?
Mumbai Bureau, YT News
05-08-22,07:26 PM
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देश अपनी 75वीं स्वतंत्रता के अवसर पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. फिल्मों और टीवी के सितारे भी अपने अपने तरीके से इस महोत्सव को मना रहे हैं. 7 अगस्त से शुरू हो रहे कौन बनेगा करोड़पति के अगले सीजन में जब अमिताभ बच्चन बोलते हैं केबीसी के साथ मनाइए आजादी के गर्व का महापर्व, तब दर्शकों के दिलों में उनकी आवाज़ घर कर जाती है.
इसी तरह से ‘कम्प्यूटर जी’, ‘लॉक किया जाए’ ‘टिकटिक घड़ी’ जैसे डॉयलॉग जब “बिग बी” बोलते हैं तो उसका जादू सिर चढ़कर बोलता है. आज “इंटरव्यु स्पेशल सीरीज” में हम आपकी मुलाकात एक ऐसे ही पर्दे के पीछे के सितारे से कराते हैं जिन्होंने अपने लेखन शैली से इस तरह की निर्जीव वस्तुओं को सजीव बना दिया. ये वही शख्स हैं जो केबीसी जैसे शो को मजेदार बनाते हैं। हम बात कर रहे हैं केबीसी के रायटर्स टीम में से एक श्री आरडी तैलंग की. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कैसे और कहां से की और इन्हें केबीसी जैसे शो में लिखने का मौका कैसे मिला? ये सब उन्होंने यंग तरंग न्यूज से खास बातचीत में बताया. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
आरडी तैलंग जी आप अपनी फैमिली बैकग्राउंड के बारे में कुछ बताइए ? फिल्म या टीवी में लेखक बनने का ख्याल कब और कैसे आया
मैं मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले का रहने वाला हूं । एक बार मैं मुंबई में अपने रिश्तेदारों को छोड़ना आया था. फिर ये शहर कुछ ऐसा भाया कि यहीं बस गए। जीवन यापन के लिए काम की तलाश करने लगा फिर पत्रकारिता का मौका मिला. सबसे पहले शेखर सुमन साहब ने मुझे अपने शो मूवर्स और शेकर्स में मुझे मौका दिया. इसके बाद धीरे धीरे मौके मिलते गए रास्ते खुलते गए. कॉलेज के दिनों में ऐसा कुछ सोचा नहीं था कि फिल्मों या टीवी के लेखन कार्य करूंगा लेकिन कुछ न कुछ लिखने का पैशन मेरे अंदर शुरू से ही था तो मैंने फिर अपने इसे पैशन को प्रोफेशन बना लिया !
आपको केबीसी शो कैसे मिला, अमिताभ बच्चन से मिलकर कैसा लगा?
केबीसी शो सन 2000 में शुरू हुआ था और तब से ही मैं शो के लेखकों की टीम से जुड़ा हूं. इस शो ने मेरी ज़िंदगी और करियर बदल कर रख दिया. स्क्रिप्ट के साथ-साथ टैगलाइन भी लिखने का मौका मिला । पहली बार जब मैं अमित जी से मिला तो यकीन नहीं हुआ, मैं नर्वस था क्योंकि टेस्ट के लिए जो लाइंस मैंने लिखी थी, उन्हें फाइल अप्रवूल उन्हें ही देना था. फिर जब बच्चन साहब ने रिजल्ट सुनाया और मेरे लिखे की तारीफ की तब जान में जान आई. मैंने ही टिकटिक घड़ी और कम्प्यूटर जी जैसे निर्जीव वस्तुओं को लिखा जिसे बच्चन साहब ने अपनी आवाज़ में सजीव बना दिया।
अमिताभ बच्चन जैसी हस्ती के साथ काम करके कैसा लगा, उनसे क्या सीखने को मिला ?
मैं अमिताभ बच्चन साहब के साथ करीब 20 साल से काम कर रहा हूं। सभी को लगता है कि मैं उनके साथ काफी घुल मिल गया हूं लेकिन ऐसा नहीं है। आज भी मैं जब उनके पास कविता या कोई डायलॉग लेकर जाता हूं तो मैं डर जाता हूं कि जब अमिताभ बच्चन इसे पढ़ेंगे तो उनका क्या रिएक्शन होगा मेरे लिए उस वक्त काफी कठिन होता है। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है. वे पर्दे के पीछे काम करने वाले इस इंसान को सम्मान और महत्व देते हैं. हमेश सेट में समय से पहले पहुंचते हैं
आप अपने लेखन को रोचक और मनोरंजक कैसे बनाते हैं?
हमने केबीसी शो में लगभग हर चीज को अलग- अलग नाम दिए हुए हैं. कई तकनीकी चीजों को रोचक शब्दों में बदला है जैसे – कम्प्यूटर जी ‘ कम्प्यूटर महोदय ‘ कम्प्यूटर महाशय ‘ चोटी की कोटी” ‘ताला लगा दे’ “लॉक किया जाए” इत्यादि. अब तो ये शब्द मेरी कलम से खुद ब खुद निकलते है। जब मैं लिखता हूं और अमिताभ बच्चन साहब इसे बोलते हैं तो मुझे लगता है कि मेरे शब्दों को आवाज मिल गई लेकिन इन शब्दों को लोकप्रिय बनाने का क्रेडिट बच्चन साहब को ही जाता है।