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अब देश में ही आक्सफोर्ड, येल और हावर्ड जैसी यूनीवर्सिटीज़ से कीजिए पढ़ाई…UGC ने किया ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी..!!
नई दिल्ली. UGC यानि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने फारेन यूनिवर्सिटीज के भारत में कैंपस स्थापित करने का रास्ता साफ कर दिया है. इसके लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस भी जारी कर दी गई हैं. यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार ने नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 के तहत ड्राफ्ट रेगुलेशन जारी किया.
देश में मिलेगी विदेश की डिग्री
अब इंडियन स्टूडेंट्स अपने देश की फीस पर विदेशी यूनिवर्सिटी की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा भारतीय और विदेशी यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू साइन होगा जिसके बाद दोनों मिलकर भी डिग्री दे सकेंगे।
दरअसल विदेश में जाकर पढ़ाई करने में काफी खर्च आता है ऐसे में स्टूडेंट्स विदेशी यूनिवर्सिटी की डिग्री चाहते हैं, उनके लिए ये बेहतर फैसला होगा।
देश में कैसे खुलेगी फारेन यूनीवर्सिटी के कैंपस?
- यूजीसी विदेशी संस्थानों को भारत में कैंपस शुरू करने के लिए आवेदन मंगाएगा.
- इच्छुक फारेन यूनीवर्सिटीज यूजीसी के पास आन-लाइन अप्लाई करेंगे फिर यूजीसी की स्टैंडिंग कमेटी हर एपलीकेशन पर अपनी रिकमंडेशन देगी. इसके बाद 45 दिनों के अंदर स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश के आधार पर यूजीसी कैंपस खोलने की मंजूरी देगी.
- अप्रूवल मिलने के 2 साल के अंदर उस संस्थान को भारत में अपना कैंपस स्टार्ट करना होगा ।
- विदेशी शिक्षण संस्थानों को फिलहाल 10 साल के लिए कैंपस स्थापित करने के लिए अप्रूवल मिलेगी.
- ग्लोबल रैंकिंग में टॉप 500 में जगह बनाने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी को मिलेगी प्राथमिकता।
- ऑनलाइन, पत्राचार या डिस्टैंस लर्निंग से कोर्स चलाने की अनुमति नहीं होगी, केवल कैंपस में ऑफलाइन मोड में ही कोर्सेज चलाने की अनुमति होगी।
- विदेशी यूनिवर्सिटी को एडमिशन क्राइटेरिया और फीस तय करने की छूट होगी लेकिन फीस भारतीय संस्थानों से ज्यादा नहीं रख सकते
- भारत और विदेश से फैकल्टी नियुक्त की जा सकेगी लेकिन क्वालिफिकेशन यूजीसी के नियमों से कम नहीं होनी चाहिए।
- फरवरी 2023 से विदेशी यूनिवर्सिटी भारत में कैंपस खोलने के लिए यूजीसी को अप्लाई कर सकती हैं.
- भारतीय कैंपस में भारत के साथ- साथ दूसरे देशों के स्टूडेंट्स भी एडमिशन ले सकते हैं। एडमिशन प्रासेस अपने तरीके से तय कर सकते हैं.
- एडमिशन प्रोसेस शुरू होने से कम से कम 60 दिन पहले विदेशी यूनिवर्सिटी को एडमिशन क्राइटेरिया, फीस स्ट्रक्चर, फीस रिफंड पॉलिसी, सीटों की संख्या, एलिजिबिलिटी आदि के बारे में पूरी जानकारी यूनीवर्सिटी की वेबसाइट और अपने प्रॉस्पेक्ट्स में देनी होगी।
- विदेशी संस्थान को फैकल्टीज का अप्वाइंटमेंट, क्वालिफिकेशन, सैलरी स्ट्रक्चर आदि तय करने का अधिकार होगा लेकिन अगर कोई फारेन फैकल्टी नियुक्त होता है तो उसके भारतीय कैंपस में रहना होगा।
- विदेशी संस्थान को छात्रों की शिकायत को रखने, सुनने और उनका समाधान करने का प्रासेस बनाना होगा. हर कैंपस में छात्रों की शिकायतों की सुनवाई की व्यवस्था होगी। अगर छात्र को लगता है कि कैंपस में सुनवाई नहीं हुई तो वह यूजीसी में अपील कर सकता है।
- संबंधित संस्थान को यूजीसी को एनुअल रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें कोर्स की डिटेल, स्टूडेंट्स की संख्या, पास आउट परसेंटेज की जानकारी होगी।
- कोई भी विदेशी संस्थान यूजीसी की मंजूरी के बिना किसी भी कोर्स को बंद नहीं कर सकता। मंजूरी मिलने के बाद अगर कोई कोर्स बंद होता है तो उससे प्रभावित होने वाले छात्रों के लिए दूसरे आप्शंस देने होंगे।