सोमवार से रविवार तक के दिनों का कैसे हुआ नामकरण…जानिए सप्ताह के हर दिन के पीछे का क्या है व्याकरण..!!
अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेद
वारो के नामकरण और क्रम में “होरा” की मुख्य भूमिका होती है, इसीलिए वारों के क्रम और उनके नामकरण जानने से पहले हमें “होरा” के बारे में जान लेना चाहिए।
क्या होता है होरा?
सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक के समय को एक वार या एक ‘अहोरात्र’ कहा जाता है, जिसमे २४ घण्टे होते है, और एक घण्टे की एक “होरा” होती है। होरा, घण्टे का ही पर्यायवाची शब्द है।
अंग्रेजी भाषा का ऑवर (Hour) होरा का ही अपभ्रंश है। एक अहोरात्र में २४ घण्टे या २४ होराए होती है, जिसमे से प्रत्येक होरा के स्वामी एक विशेष क्रम में सात ग्रह है। और ये विशेष क्रम है:- सूर्य, शुक्र, बुध, चंद्रमा, शनि, बृहस्पति और मंगल। अर्थात प्रथम होरा के स्वामी है सूर्य, द्वितीय के शुक्र, तृतीय के बुध, चतुर्थ के चंद्रमा, पांचवीं के शनि, छठी के बृहस्पति और सातवीं होरा के स्वामी मंगल।
वारों का नामकरण और उनका क्रम निर्धारण
सूर्योदय के प्रथम घण्टे में होरा चक्र में जिस ग्रह की होरा रहती है, उसी ग्रह के नाम पर उस वार का नामकरण हुआ है। प्रथम अपने प्रकाश से समस्त सृष्टि को प्रकाशित करते हुए भगवान भास्कर यानि सूर्य देवता का उदय हुआ।
रविवार का नामकरण
सृष्टि की शुरुवात ही सूर्य से हुई , इसीलिए सूर्य के नाम पर ही सप्ताह का पहला वार रखा गया। इस तरह सप्ताह का पहला वार हुआ – “रविवार”। सूर्योदय में पहले घण्टे की होरा के स्वामी के नाम पर ही उस वार का नाम रखा गया था, इसीलिए सप्ताह के प्रथम दिन रविवार के सूर्योदय से प्रथम घण्टे की सूर्य की होरा मानी गई।
इसके बाद ऊपर ग्रहों का एक विशेष क्रम लिखा है, उसी क्रम के अनुसार हर घंटे की होरा होती है, जो इस तरह है:-
रविवार के सूर्योदय के प्रथम घण्टे की होरा सूर्य की हुई, इसके बाद दूसरे घण्टे में शुक्र की होरा रहती है, फिर तीसरे घण्टे में बुध की होरा आती है, चौथे में चंद्र की, पांचवे में शनि की, छठे में बृहस्पति की, सांतवे में मंगल की होरा, और इसके बाद आंठवें घण्टे में पुनः सूर्य की होरा आती है, और ये क्रम ऐसे ही चलता है।
आंठवें घण्टे के बाद क्रम पूरा होने के बाद पंद्रहवें घण्टे व् बाइसवें घण्टे में पुनः सूर्य की होरा रहती है.. इसके बात तेइसवें घण्टे में क्रमानुसार शुक्र की होरा आती है और चौबीसवें घण्टे में बुध की होरा। चौबीसवें घण्टे की समाप्ति के साथ ही एक ‘अहोरात्र’ भी समाप्त हो जाती है, और दूसरे दिन का सूर्योदय होता है।
सोमवार का नामकरण
अब चौबीसवें घण्टे में बुध की होरा समाप्त होने के बाद अगले घण्टे में यानि अगले दिन के सूर्योदय में क्रमानुसार चंद्र की होरा शुरू हो जाती है, और इसीलिए सूर्योदय में चंद्र की होरा होने के कारण ही रविवार के बाद अगले दिन का नाम पड़ा- “चंद्रवार”। चंद्र यानि सोम, इसीलिए सोमवार कहते है।
मंगलवार का नामकरण
अब सोमवार को पहले, आंठवें, पंद्रहवे और बाइसवें घण्टे में चंद्र की होरा रहती है, उसके बाद तेइसवें घण्टे में क्रम के अनुसार शनि की होरा, और चौबीसवें घण्टे में ब्रहस्पति की होरा होती है। इसके बाद पच्चीसवें घण्टे यानि अगले दिन के सूर्योदय से प्रथम घंटे में मंगल की होरा रहती है, इसीलिए सोमवार के बाद वाले वार का नाम पड़ा- “मंगलवार”।
बुधवार का नामकरण
इसी प्रकार मंगल से आरम्भ कर २२वीं होरा मंगल की, पुन: २३वीं सूर्य की तथा २४वीं शुक्र की होकर एक अहोरात्र समाप्त हो जायेगा, पुन: अगले सूर्योदय में बुध की होरा प्रारम्भ होगी। अत: मंगलवार के बाद अगला वार हुआ- “बुधवार”। इसी क्रम से सप्ताह के सभी वारों का नामकरण और उनका क्रम तय हुआ।
क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
ज्योतिष शास्त्र में शनि, गुरू, मंगल, रवि, शुक्र, बुध और चन्द्रमा एक दूसरे से नीचे-नीचे माने गये हैं | इसी प्रकार दिन भर में चौबीस घण्टे होते हैं , जो क्रमशः इन ग्रहों की होरा से वार(दिनों के नाम) निर्धारित होते हैं | सृष्टि का उदय होते ही सर्वप्रथम सूर्य देवता के दर्शन होते हैं |
१-सूर्य,२-शुक्र,३-बुध,४-चन्द्रमा,५-शनि,६-गुरू,७-मंगल,८-सूर्य,९-शुक्र,१०-बुध,११-चन्द्रमा,१२-शनि,१३-गुरू,१४-मंगल,१५-सूर्य,१६-शुक्र,१७-बुध,१८-चन्द्रमा,१९-शनि,२०-गुरू,२१-मंगल,२२-सूर्य,२३-शुक्र,२४-बुध, २५-चन्द्रमा,२६-शनि,२७-गुरू
बस इसी प्रकार क्रमशः घटती दूरी के क्रम से होरावार ग्रहों को स्थापित करते जाइये,तब आपको प्रत्येक होरा के अधिपति का नाम मिलता जायेगा | जैसे ही दिन की चौबीस होरा पूरी हुयी, अगले दिन की पहली अथवा पूर्व दिन के हिसाब से पचीसवीं होरा का अधिपति ही अगले वार का अधिपति निर्धारित होता चले जायेगा| आपको ग्रहों के निश्चित क्रम से क्रमशः सभी वार मिल जायेंगे | इस प्रकार सप्ताह के दिनों का नामकरण हुआ |
रविवार की पहली होरा सूर्य (रवि) से, सोमवार की पहली होरा चन्द्र(सोम)से, मंगल वार की पहली होरा मंगल(भौम) से, बुधवार की पहली होरा बुध से, बृहस्पतिवार की पहली होरा बृहस्पति(गुरू) से, शुक्रवार की पहली होरा शुक्र (भृगु) से तथा शनिवार की पहली होरा शनि से प्रारम्भ होती मिलेगी |
होरा का अर्थ लग्न होता है, एक अहोरात्र में बारह राशियों की बारह लग्न होती हैं, सात ग्रहों में बारह राशियाँ वितरित हैं।