जल्द प्लान कर लीजिए इस ट्रेन की यादगार जर्नी…क्योंकि इस ट्रेन में नहीं लगता कोई टिकट और न ही है कोई टीटीई..!!
रानी रॉय
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क इंडियन रेलवे को माना जाता है अगर आपको भारत के किसी भी हिस्से में यात्रा करना होता है तो आपको आसानी से ट्रेन की सुविधा मिल जाती है क्या आपने ऐसा सुना है कि देश में एक ऐसा भी ट्रेन है जो आपको बिलकुल मुफ्त में यात्रा करवाती है ये बात सुनकर आप हैरान हो रहें होंगे लेकिन ये सच है.
कौन सी है ये ट्रेन ?
पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर एक ऐसी ट्रेन भी चलाई जाती है जिसमें सफर करने वाले यात्रियों से कोई किराया नहीं लिया जाता है और ऐसे में ट्रेन में सफर करने में सुविधा भी होती है और आनंद भी आता है.
ये ट्रेन आपको बिल्कुल मुफ्त में आपको सफर करवाती है जी हां ये सच बात है भारत में एक ऐसी भी ट्रेन है जिसमें करीब 75 साल से लोग फ्री में सफर कर रहे हैं इस ट्रेन में सफर करने के लिए यात्रियों को कोई किराया नहीं देना पड़ता है जो कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर चलती है.
इस ट्रेन का नाम है भाखड़ा- नांगल ट्रेन. ये ट्रेन भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड द्वारा मैनेज की जाती है इसे पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा भाखड़ा- नांगल बांध जो दुनिया भर में बहुत सबसे ऊंचे स्ट्रेट ग्रैविटी डैम के तौर पर मशहूर है.
भाखड़ा-नंगल बांध को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं ये ट्रेन सतलज नदी से होकर गुजरती है और शिवालिक पहाड़ियों से होते हुए 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है इस ट्रेन की खास बात यह है कि इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों से एक रुपया के किराया का वसूल नहीं किया जाता है जो भी सैलानी भाखड़ा- नांगल बांध देखने जाते हैं वे इस ट्रेन से मुफ्त में यात्रा करते हैं !
इस ट्रेन में नहीं है कोई टीटीई
इस ट्रेन को साल 1948 में शुरू किया गया था और इस ट्रेन को तब से चलाया जाता है इस ट्रेन की खासियत यह है कि इसके कोच लकड़ी के बने हुए हैं और इसमें कोई टीटीई नहीं रहता है पहले ये ट्रेन स्टीम इंजन के साथ चलती थी.
कभी इस ट्रेन में 10 कोच होते थे लेकिन अब वर्तमान में इसमें सिर्फ 3 ही बोगियां है इस ट्रेन की रूट पहाड़ों को काटकर डैम तक जाता है जिसे देखने के लिए हर दिन सैकड़ों सैलानी आते हैं.
विरासत के तौर पर देखी जाती है ये ट्रेन
इस ट्रेन के बारे में हम आपको एक और बात बताते हैं जिस ट्रैक से ये ट्रेन गुजरती है उस पर तीन टनल है और कई स्टेशन भी है जंहा हर रोज इस ट्रेन से करीब 800 लोग सफर करते हैं.
सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स इस ट्रेन की यात्रा करते हैं. वैसे साल 2011 में वित्तीय घाटे को देखते हुए इस मुफ्त सेवा यानि इस फ्री में चलनेवाली ट्रेन को रोकने का फैसला किया था लेकिन बाद में ये तय किया गया कि इस ट्रेन को आय का स्त्रोत न मानकर बल्कि विरासत और परंपरा के रूप में देखा जाय तो इस तरह आज भी इस ट्रेन में फ्री सर्विस जारी है
आपको एक और बता दें कि भाखड़ा-नंगला बांध को बनाते समय भी रेलवे के जरिए काफी मदद ली गई थी इस बांध का निर्माण करने का कार्य 1948 में शुरू किया गया था तब उस समय इस ट्रेन के जरिए मजदूरों और मशीनों को ले जाने का काम किया जाता था फिर उसके बाद 1963 में इसे औपचारिक तौर पर्यटकों के लिए खोल दिया गया तब से तमाम सैलानी इस ट्रेन से सफर का मजा लेते हैं.