उद्धव गुट के लिए मिट गया नाम ओ निशान…शिंदे गुट को मिली शिवसेना की पहचान…चुनाव आयोग के फैसले पर मचा घमासान
पिता बाल ठाकरे ने शिवसेना बनाई, पुत्र उद्धव ठाकरे ने शिवसेना गंवाई. चुनाव आयोग के सामने दोनों गुटों ने पार्टी पर अपने अधिकार के दावे से संबंधित सबूत पेश किए थे जिस पर शिंदे गुट भारी पड़ा. इलेक्शन कमीशन ने उपलब्ध दस्तावेजों, तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों ही शिंदे गुट को दे दिया, अब इसके बाद का रास्ता किधर जाता है, आइए जानते हैं.
ऐजेंसियां. नई दिल्ली, 17 फरवरी.
चुनाव आयोग के एक फैसले ने महाराष्ट्र की सियासत को गरमा दिया है. शिवसेना पार्टी पर अपने अधिकार को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच जबरदस्त विवाद चल रहा था. दोनों ही गुटों ने चुनाव आयोग से गुहार लगाई जिस पर अब आयोग ने महत्वपूर्ण फैसला सुना दिया.
किस आधार पर चुनाव आयोग ने सुनाया फैसला?
शिवसेना को लेकर ने उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा था. दोनों ही गुटों ने चुनाव आयोग से गुहार लगाई थी जिसके बाद टंपरेरी तौर पर दोनों ही गुटों को अस्थाई नाम और चुनाव चिन्ह दिए गए थे.
चुनाव आयोग ने दोनों ही गुट कहा था कि पार्टी पर अपने दावे को लेकर संबंधित दस्तावेज, सबूत और आंकड़े पेश करें.
चुनाव आयोग ने जांच पड़ताल के बाद पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान आयोग को नहीं दिया गया। 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के अधिनियम को संशोधनों ने रद्द कर दिया था, जो नियमानुसार गलत था.
आयोग ने यह भी कहा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड को पहले भी साल 1999 में आयोग ने अस्वीकार किया था लेकिन इसके बाद भी गलत और गुप्त तरीके से इसे फिर वापस लाया गया. इससे पार्टी एक व्यक्ति के जागीर के समान हो गई।
इन सभी बिंदुओं के आधार पर इलेक्शन कमीशन ने शिंदे गुट के हक में फैसला सुनाया.
‘बीजेपी का एजेंट है चुनाव आयोग”
वहीं इस मामले पर उद्धव ठाकरे गुट ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनाव आयोग स्वायत्त संस्था नहीं रह गई है, ये संस्था बीजेपी के एजेंट के रूप में काम कर रही है.
इस तरह के फैसले का हमें पहले ही उम्मीद थी, इसीलिए हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जब मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में है तो इलेक्शन कमीशन ने कैसे जल्दबाजी में ये फैसला सुना दिया.
क्या होगा आगे का रास्ता?
उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने इस मामले पर कहा है कि चिंता करने की जरूरत नहीं है। जनता हमारे साथ है और अब हम जनता के बीच एक नए प्रतीक के साथ जाएंगे.
उधर इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है अगर उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात को सबूतों के आधार पर साबित कर लेता है तो कोर्ट से ही कोई राहत मिल सकती है लेकिन ये आसान नहीं होगा. अब देखना होगा कि महाराष्ट्र में आने वाले चुनाव पर इस फैसले का क्या असर पड़ता है?