प्रेरक व्यक्तित्व- ट्रैफिक नियमों का पालन कराने के लिए एक हेड कांस्टेबल कैसे बने “हेलमेट मैन”
अरुणेश द्विवेदी
सड़क पर सुरक्षित चलने के लिए सरकार ने बहुतसे ट्रैफिक नियम बनाए हैं इसके बाद भी सैकड़ों हादसे होते हैं, लोगों की जान जाती है. आज की युवा पीढ़ी रेड लाइट जम्प करने में, ओवर स्पीडिंग करने में, बिना हेलमेट बाइक चलाने में, बाइक से स्टंट करने में खुद को हीरो समझती है. ऐसे में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए अनोखा अभियान चलाया जिसकी वजह से उनकी पहचान ‘हेलमेट मैन’ के रूप में बन गई. यंग तरंग न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने अपने इस अभियान और अपने इस पहचान के बारे में ख़ास बातचीत की. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश पेश है।
आपको लोग जब “हेलमेट मैन” कहते हैं तो कैसा लगता है और इसकी उपाधि आपको कब और कैसे मिली?
दरअसल एक बार जब रक्षाबंधन के दौरान मेरी ड्यूटी लगी थी तो मैंने देखा कुछ भाई अपने बहनों को राखी बांधने जा रहे थे लेकिन हेलमेट नहीं पहने हुए थे तो मैंने उन्हें चालान काटने के साथ-साथ फ्री में हेलमेट इस वादे के साथ दिया कि अगली बार बिना हेलमेट के वे कहीं नहीं जाएंगे, उन्हें लगा चालान के पैसे से हेलमेट मिल गया. उस समय मैं अपने पास कई आईएसआई हेलमेट रखता था, जो मैं अपने पैसे से खरीदता था, तो बाद में मेरी पहचान ही इस नाम से बन गई. इस नाम से, इस पहचान से मुझे खुशी तो मिलती है पर असली खुशी मुझे तब मिलती है जब लोग खास तौर पर युवा-वर्ग ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं।
आपके मन में मुफ्त में हेलमेट वितरण का ख्याल कैसे आया, इससे समाज में कितनी जागरूकता आई?
देखिए सड़क हादसे ट्रैफिक मुख्य रूप से रूल्स को फॉलो ना करने पर ओवरस्पीडिंग या फिर लेन ड्राइविंग का पालन ना करने के कारण होते हैं। सड़क हादसों में सबसे ज्यादा हेड इंजरी होती है जिसके कारण आप के बचने की संभावना बहुत ही कम होती है। ऐसी स्थिति में मैंने हेड इंजरी को रोकने के लिए हेलमेट वितरण सोचा और वाहन चालकों को जो हेलमेट नहीं पहनते उन्हें ऑन द स्पॉट हेलमेट वितरण कर हेलमेट पहनाया।
जागरूकता अभियान को चलाने में किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
हर काम को करने में बाधाएं आती है परंतु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि हम हिम्मत हार जाएं साहस को त्याग दें। जागरूकता अभियान को और सशक्त बनाने के लिए मैंने तरीके बदले। अपनी शादी की सालगिरह, जन्मदिन, बच्चों के जन्मदिन पर पार्टी ना कर उन पैसों की बचत कर। मैं हेलमेट खरीद कर उसका वितरण किया करता था और महिलाओं एवं पुरुष को हेलमेट दिया करता था जो हेलमेट नहीं पहने होते थे।
आपके अनुसार सड़क हादसों के प्रमुख कारण क्या होते हैं?
दो तरह की राइडर्स और ड्राइवर होते हैं। एक तो वह जिन्हें ट्रैफिक रूल्स की समझ नहीं है और दूसरे वह जो ट्रैफिक रूल्स जानते हैं पर उन्हें फॉलो नहीं करते हैं। सड़क हादसे प्रमुखता ओवर स्पीडिंग के कारण या फिर लेन ड्राइविंग का पालन ना करने के कारण होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि सबसे ज्यादा सड़क हादसे हमारे देश में होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि देश में इतने लोग आतंकी हमले में नहीं मरते उससे ज्यादा सड़क हादसे में मारे जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में ही भारत में लगभग 14 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए हैं। देश में हर 3.5 मिनट में एक व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाती है। ऐसे में लोगों को सड़क पर चलते समय सावधानी बरतनी चाहिए और ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए.
कुछ समय सड़क परिवहन मंत्रालय ने चालान की राशि कई गुना बढ़ा दी थी, जिसका काफी विरोध भी हुआ था. आपको क्या लगता है कि आम लोगों के लिए इतना बड़ी राशि का चालान रखना ठीक है या नहीं?
चालान की बात तो तब आती है जब आप क़ानून तोड़ते हैं लेकिन जब आप ट्रैफिक रूल्स फालो करेंगे तो चालान कटेगा ही नहीं, रही बात चालान की राशि बढ़ाने की तो उसका उद्देश्य ये है कि लोगों के मन में डर रहे कि अगर हेलमेट नहीं पहना या ट्रैफिक रूल्स तोड़े तो भारी जुर्माना देना पड़ेगा. सरकार ने ये फैसला किया है तो मेरे हिसाब से ठीक ही है.
सड़क हादसों में एक बड़ा कारण सड़कों की ख़राब हालत भी है, बारिश के मौसम में तो हालात और ख़राब हो जाती है, आम लोग भी खराब सड़कों के लिए सरकार को दोष देते हैं, ऐसे में सरकार की क्या ज़िम्मेदारी बनती है
सड़क दुर्घटनाओं के लिए सरकार और खराब सड़कों को देाष देना तो आसान है, मगर लोग इस मामले में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं. बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में है ओवर-स्पीडिंग, ट्रैफिक नियमों को न मानना, नशे में ड्राइविंग करना, हेल्मेट और सीट-बेल्ट न पहनना, इसलिए लोगों को अपनी जान बचाने के लिए तो कम से कम अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए । रही बात सड़कों की, तो उसके लिए सबंधित सरकारी विभाग को भी सही तरह से काम करना चाहिए