कश्मीर के स्कूलों में 32 साल बाद पढ़ाई जाएगी हिंदी…जानें विपक्ष को क्यों हो रही है परेशानी?
हिंदी राजभाषा से राष्ट्रभाषा कब बनेगी, इस सवाल का जवाब तब तक नहीं मिल सकता जब तक हिंदी के नाम पर सियासत होती रहेगी. साउथ इंडिया के बाद अब जम्मू कश्मीर के स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर विरोध क्यों हो रहा है, आइए जानते हैं
कश्मीर के प्राइवेट स्कूलों लंबे समय से हिंदी नहीं पढ़ाई जाती थी लेकिन अब वहां के प्राइवेट स्कूल में कक्षा पहली से दसवीं तक हिंदी पढ़ाई जाएगी. इसको लेकर अब विपक्ष ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
कमेटी ने की हिंदी पढ़ाने की सिफारिश
जम्मू कश्मीर शिक्षा परिषद ने स्कूलों में हिंदी पढ़ाने को लेकर एक 8 सदस्यों वाली कमिटी बनाई थी जिसने अपनी सिफारिशें दे दी है।
कमेटी ने सभी 3 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाने की सिफारिश कर दी है ।
32 साल से जम्मू कश्मीर में क्यों नहीं पढ़ाया रहा है हिंदी ?
कश्मीर में सरकारी स्कूलों की संख्या 23,173 है, लेकिन हिंदी भाषा की पढ़ाई को लेकर कोई व्यवस्था नहीं रही है । जम्मू रीजन में बच्चों को हिंदी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है लेकिन कश्मीर में हिंदी भाषा को लेकर कोई व्यवस्था ही नही है ।
दरअसल, ऐसा कहा जाता है की 1990 के बाद कश्मीर घाटी से हिंदी पढ़ाने वाले कश्मीरी पंडित वहां से पलायन कर चुके थे और कोई हिंदी पढ़ाने वाला बचा ही नहीं, उसके बाद घाटी में हिंदी पढ़ाई ही नहीं गई ।
कश्मीर के प्राइवेट स्कूलों में उर्दू,अंग्रेजी और कश्मीरी भाषा तो पढ़ाई जाती है लेकिन हिंदी नहीं हलांकि अब उम्मीद है कि इस फैसले के बाद स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाएगी
कश्मीर में हिंदी का विरोध कर रहा है विपक्ष?
कश्मीर के प्राइवेट स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया है. गुपकार गठबंधन के प्रवक्ता मो. यूसुफ तारिगामी ने कहा है कि हिंदी को जबरजस्ती थोपा जा रहा है जो संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।
बीजेपी अपने हिंदूवादी एजेंडे के तहत कश्मीर में हिंदी को लागू करने की कोशिश कर रही है जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. इस पर कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा है कि भाषा किसी भी धर्म से जुड़ी नहीं होती है। देश के अन्य राज्यों में भी मुस्लिम बच्चे हिंदी पढ़ते हैं तो कश्मीर के बच्चे हिंदी क्यों नहीं पढ़ सकते. कश्मीर के स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने का स्वागत होना चाहिए।