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रक्षाबंधन में कनफ्युजन : हिंदू पंचांग के अनुसार कब मनाएं रक्षाबंधन, जानिए कब है शुभ-मुहुर्त?
रक्षाबंधन हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. इसमें हर बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को रक्षा करने का वादा करता है. भाई-बहन के इस प्रेम के त्योहार में इस साल कुछ भ्रम हो गया है कि आखिरकार राखी का त्योहार 11 अगस्त को मनाएं या फिर 12 अगस्त को, तो आइए इस कनफ्युजन को क्लियर करते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. पंडितों के अनुसार इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा लगी हुई है और इसमें राखी बांधना अशुभ होता है। इसके अलावा सावन पूर्णिमा तिथि दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को है जिसके चलते राखी को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। पंडित और ज्योतिष के कुछ विद्वान 11 तो कुछ 12 अगस्त को मनाने की सलाह दे रहे हैं।
11 अगस्त को भद्रा पूंछ का समय शाम 05 बजकर 17 मिनट से लेकर 06 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। वहीं भद्रा मुख का समय शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 08 बजे तक है। इसके बाद यानि भद्रा की समाप्ति होने पर यानी रात 08 बजकर 52 मिनट से लेकर 09 बजकर 13 मिनट के बीच राखी बांधी जा सकती है। लेकिन कुछ
विद्वान पंडितों का ये भी कहना है कि सूर्यास्त के बाद राखी नहीं बांधी जाती। ऐसे में लोगों को राखी का त्योहार 12 अगस्त को मनाना चाहिए.
वहीं हिंदू शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार पूर्णिमा तिथि और श्रावण नक्षत्र लगने पर ही मनाया जाता है। ऐसे में पूर्णिमा तिथि 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 5 मिनट तक ही रहेगी। वहीं पंचांग गणना के अनुसार 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के लगने से साथ ही भद्रा शुरू हो जाएगी। 11 अगस्त को भद्रा के दौरान चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे, इस कारण से भद्रा का वास पाताल लोक में माना जाएगा। पाताल लोक में भद्रा को अशुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाना शुभ रहेगा।
धर्म शास्त्र और धर्म गुरूओं के अपने तर्क हैं लेकिन भाई-बहन को अपने प्यार के त्योहार को पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाना चाहिए. आप सबको रक्षाबंधन की शुभकामनाएं