अतीक मामले में ‘पूत की करतूत’ से दुखी हुए माता-पिता…जानिए अतीक मामले से जुड़ी 3 महिलाओं की सच्ची कथा
अतीक के अपराध से जुड़ी कई सच्ची कहानियां है लेकिन आज उन 3 महिलाओं के बारे में जानिए जिनमें से एक है उसके शूटर गुलाम मोहम्मद की मां जिसने उसका शव लेने से मना कर दिया है तो वहीं अतीक को मारने वाले 3 शूटर में से एक लवलेश तिवारी की मां का क्या कहना है और अतीक की बेगम शाइस्ता कैसे लेडी डॉन बनी, आइए जानते हैं.
के. विक्रम राव
अतीक मामले से जुड़ी तीन महिलाओं की अगर बात करें तो सबसे पहले बात बेगम खुशनुदा की उन्होंने अपने बेटे गुलाम मोहम्मद की लाश लेने से साफ इन्कार कर दिया। माफिया अतीक अहमद के शूटर के रूप में गुलाम मोहम्मद की पहचान थी। उसी ने प्रयागराज में उमेश पाल को सरआम गोलियों से मारकर हत्या कर दी थी।
जैसी करनी, वैसी भरनी
जैसी करनी, वैसी भरनी, मानकर रसूलाबाद से झांसी अम्मी खुशनुदा बेगम नहीं गईं। नतीजन लावारिस लाश को पुलिस ने ठिकाने लगाया। खुशनुदा ने योगी शासन की तारीफ की लेकिन अपने बेटे की करतूतों से उनका दिल तो बेहद दुखी है।
एक पुरानी यहूदी कहावत है कि भगवान हर जगह उपस्थित नहीं रह सकता है। अतः उसने माताओं की सृष्टि की है। बालक गुलाम मोहम्मद से अम्मी खुशनुदा बड़ा प्यार करती थी। सिखाया था कि स्कूल से एक पेंसिल भी उठा मत लाना…मगर उन्हें नहीं पता था कि बड़ा होकर यही बेटा कट्टे बंदूक से खेलेगा. उन्होंने अपने लगते-जिगर गुलाम मोहम्मद को सुधारने और समझाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन माफिया अतीक का उस पर प्रभाव मां की ममता पर भारी पड़ा।
बीजेपी में रहा है शूटर गुलाम का भाई
शूटर गुलाम का भाई राहिल सत्तारूढ़ भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रयागराज में जिलाध्यक्ष रहा। उमेश पाल हत्याकांड के बाद राहिल हसन को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। करीब 14 दिन तक पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया। उसने भी अपने भाई का शव लेने से इंकार कर दिया.
शाइस्ता परवीन कैसे बनी लेडी डॉन?
फारसी शब्द शाइस्ता के अर्थ हैं : सभ्य, शिष्ट, काबिल, योग्य, उत्तम, श्रेष्ठ, उम्दा आदि। सब इस महिला डॉन पर उल्टे पड़ते हैं। इतनी निर्मम है कि न अपने पति (अतीक अहमद) और न अपने बेटे (असद अहमद) के आखिरी रुसूम में शामिल हुई। मानों कोई लेना देना ही नहीं हो उनसे।
साधारण पुलिस सिपाही मियां मोहम्मद हारून की बड़ी बेटी, शाइस्ता बाल्यकाल से ही पुलिस क्वार्टर में रही थी। खाकी की सारी जानकारी मिली थी। बड़ी होकर माफिया सरगना से निकाह हो जाने पर कानून के शत्रुओं से साबका हुआ।
वे ही एकमात्र ऐसी सियासती व्यक्ति है जिसका निजी संपर्क अंबेडकरवादी, लोहियावादी और कट्टर जिन्नावादी से हुआ। वह हैदराबादी मियां असदुद्दीन ओवैसी की मजिलिसे इत्तिहादे मुसलमीन (सितम्बर 2021) के साथ थी। फिर अकील के मार्फत मुलायम सिंह के संपर्क में आई।
प्रयागराज से बनना चाहती थीं मेयर
इसी जनवरी में बहुजन समाज पार्टी की बहन कुमारी सुश्री मायावती के पाले में आ गई। प्रयागराज के मेयर की प्रत्याशी बनने जा रही थी। उमेश पाल की हत्या से न चमकती तो शाइस्ता महापौर बन जाती। तब संगम नगरी को अधिक पुनीत, पतित पावन बना देती। शौहर अतीक अहमद प्रयागराज का नवाब बन जाता। आज उसकी बीवी शाइस्ता के सिर पर पचास हजार रुपए का इनाम है।
शाइस्ता परवीन आज लेडी डॉन बन बैठी है। फोन पर धमकी देती है, वसूली करती है. अरबों रुपयों की मालकिन है। कई शहरों में उसके नाम पर बेशकीमती जमीन जायदाद है. साबरमती जेल में पति से मिलकर शाइस्ता ने किस प्रकार उमेश पाल की हत्या की साजिश रची। जेल में पति को मोबाइल फोन दिलवा दिया.
शौहर और एक बेटा मार दिया गया, पुलिस उसके पीछे पड़ी है. एक न एक दिन उसके गुनाहों का भी हिसाब होगा।
लवलेश की मां हो रही है बेहोश
अतीक और उसके भाई को मारने वाले तीन शूटर्स में एक का नाम लवलेश है. वह यूपी के बांदा जिले का रहने वाला है. उसके माता पिता का नाम आशा और यज्ञदत्त तिवारी है. बेटे की हरकत टीवी में देखकर उसकी मां बार बार बेहोश हो जाती है.
जिस रात उसने अतीक की हत्या की उस रात उनकी हरकत को टीवी पर देखकर घर में खाना नहीं बना, पूरा परिवार परेशान रहा. मां की ममता अपने बेटे को निर्दोष बता रही लेकिन पिता अपने कपूत की करतूत से परिचित है इसलिए खामोश है।