अतीक का अतीत: दहशत के 4 दशक…फर्श से अर्श तक…तांगा चलाने वाले का बेटा…कैसे बन गया माफिया ?
अतीक अहमद..ये वो नाम है जिसने 4 दशकों तक दहशत फैलाई जिसने नेता बनकर अपने परिवार के अकूट संपत्ति बनाई जिसने अपने एक पुराने इंटरव्यु में कहा था कि उसका अंत या तो पुलिस एनकाउंटर में होगा या फिर उसके ही बिरादरी का कोई गोली मार देगा और ऐसा ही हुआ, आइए जानते हैं कि अतीक की अतीत कैसा था?
अतीक अहमद से जुड़ी ख़बरें पिछले कई दिनों से मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं . जब भी आप न्यूज चैनल या न्यूजपेपर आप खोले होंगे उसमे कहीं न कहीं आपको एक खबर जरूर मिली होगी, और वो खबर खूंखार माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद से जुड़ी होगी ।ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि अतीक अहमद कैसे बना इतना बड़ा माफिया,आइए जानते हैं
क्या रही है अतीक अहमद की पृष्ठभूमि ?
अतीक अहमद का जन्म 1962 में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम था फिरोज अहमद जो इलाहाबाद में एक घोड़ा-गाड़ी चलाते थे, जिसे हम तांगा भी कहते हैं । अतीक का जीवन कई समस्याओं से जुड़ा रहा क्योंकि घर में बहुत गरीबी थी । अतीक का बचपन से ही पढ़ने में बिलकुल मन नहीं लगता था और इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की अतीक दसवी में फेल हो गया था ।
तांगेवाले का बेटा बना अपराधी
अतीक के अतीत पर नजर डालें तो पता चलता है कि करीब 17 साल के उम्र में अतीक अहमद के खिलाफ पहली बार हत्या का केस दर्ज हुआ था, उम्र बढ़ने के साथ अतीक ने अपराध की दुनिया में सिक्का जमा लिया ।
चांद बाबा के मर्डर से अतीक का नाम ‘चमका’
साल था 1987 इलाहाबाद शहर में चांद बाबा का दौर हुआ करता था, क्या नेता और क्या कारोबारी सभी चांद बाबा के नाम से ही खौफ खाते थे आलम ये था कि पुलिस और नेता इस चांद बाबा को मारना तो चाहते थे लेकिन हिम्मत किसी में नहीं थी,अब दो साल का वक्त गुजरा और अतीक अहमद का दबदबा बढ़ने लगा और अतीक अहमद चाहता था की उसका जलवा पूरे उत्तर प्रदेश में बरकरार हो जाए.
अपराध के जरिए नाम कमाने की चाहत रखने वाला अतीक ने इलाहाबाद के सबसे बड़े डॉन का पता लगाया, तब पता चला की चांद बाबा का बड़ा नाम है,फिर उसने सनसनीखेज तरीके से चांद बाबा की हत्या कर डाली.
अब जिस चांद बाबा से पुलिस और बड़े बड़े नेता खौफ खाते थे उसी का बेखौफ अंदाज में मर्डर कर दिया गया, कत्ल करने वाला अतीक अहमद अब खुद सबसे बड़ा बाहुबली बन गया। इसके बाद अतीक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । साल बदलते गए और बड़े बड़े नाम उसकी क्राइम लिस्ट में जुड़ते गए। साल 2002 में नस्सन की हत्या । साल 2004 में देश के जाने माने बीजेपी नेता और मंत्री रह चुके मुरली मनोहर जोशी के सबसे करीबी नेता अशरफ की हत्या।
फिर 2005 में नए नए विधायक बने राजूपाल की हत्या कराकर अतीक अहमद यूपी में एक बड़ा नाम बन गया था । अब उसको हराना और उसके आतंक को खत्म करना मुश्किल सा लगने लगा था ।
अपराध के जरिए सियासत में कूदा अतीक
अतीक अहमद ने 1989 में राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी ।उसने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दल उम्मीदवार के रूप में पर्चा पहली बार विधायक चुना गया । उसने कांग्रेस के गोपालदास को 8102 वोट से हरा दिया।
इसके बाद अतीक अहमद ने इसी सीट से 1991 और 1993 का चुनाव भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता।इसके बाद वह समाजवादी पार्टी की साईकिल पर सवार होकर वर्ष 1996 में चौथी बार विधायक बनने की हैट्रिक लगाई ।
महज तीन साल में अतीक की सपा से दूरियां बढ़ गईं ।इसके चलते अतीक अहमद सपा का साथ छोड़कर 1999 में सोनलाल पटेल की पार्टी अपना दल में शामिल हो गया ।
अपना दल ने अतीक को प्रतापगढ़ से चुनाव लड़वाया, लेकिन अतीक को यहां हार का सामना करना पड़ा । वहीं 2002 में अपना दल ने अतीक को उसकी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से टिकट दिया ।इस चुनाव में अतीक अहमद को फिर कामयबी मिली और वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहा ।
वर्ष 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो अतीक अहमद एक बार फिर सपा में शामिल हो गया । सपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक को फूलपुर से टिकट दिया । अतीक अहमद चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचा, अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया ।वहां हुए उपचुनाव में सपा ने अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम ऊर्फ अशरफ को टिकट दिया,लेकिन बसपा के राजू पाल ने उसे हरा दिया ।
सपा ने 2014 के चुनाव में अतीक को श्रावस्ती से उम्मीदवार बनाया,लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर के वजह से अतीक को हार का समाना करना पड़ा ।
मायावती ने अतीक पर कसा था शिकंजा
वर्ष 2007 में पूर्व बहुमत से बसपा की सरकार बनी और मायावती मुख्यमंत्री बनीं,इसके बाद मायावती ने अतीक अहमद पर शिकंजा कसना शुरू किया, उन पर एक-एक कर 10 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए,सरकार की सख्ती देख अतीक अहमद फरार हो गया था यूपी पुलिस ने उसपर 20 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया ।
दबाव बढ़ता देख अतीक ने दिल्ली में गिरफ्तारी दी। सरकार ने उसकी करोड़ों की संपत्तियों को मिट्टी में मिला दिया, वर्ष 2014 में प्रदेश की जनता ने सपा को पूरा समर्थन देकर सत्ता सौंपी तो मुलायम के पुत्र अखिलेश यादव सीएम बने और सपा के बहुत प्रेमी रहे अतीक अहमद को जमानत मिल गई ।
अतीक के पतन का शुरुआत…
अतीक अहमद के जीवन का पतन शुरू हुआ 2017 में जब 2017 में प्रदेश की जनता ने राज्य की बागडोर भाजपा को सौंपी,इसके बाद योगी आदित्यनाथ सीएम बने । उनकी सरकार बनते ही अतीक अहमद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया ,लखनऊ से एक व्यापारी को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने और जेल के अंदर उसकी पिटाई का वीडियो वायरल हुआ, इसमें भी अतीक का नाम आया,
पीड़ित व्यापारी ने भी अतीक और उसके बेटे का नाम लिया । इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश से बाहर किसी दूसरे राज्य की जेल में भेजने को कहा ।उसे अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज दिया गया।अतीक अहमद तीन जून 2019 से वहीं कैद था।
24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद, इस पूरे प्रकरण में अतीक अहमद के पूरे परिवार का नाम सामने आया। 28 मार्च को अदालत अतीक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इस प्रकरण में आगे की पूछताछ के लिए पुलिस माफिया अतीक और उसके भाई को प्रयागराज लाया गया। जहां 15 अप्रैल की रात दोनों भाइयों का गोली मारकर हत्या कर दी गई और इस तरह अतीक का माफिया राज का खात्मा उसके जीवन के खात्मा के साथ हो गया ।
आदर्श पांडे