हर घर तिरंगा, हर दिल तिरंगा: झंडे से जुड़े इन नियमों का रखें ध्यान…तो बना रहेगा राष्ट्रध्वज का सम्मान
अरुण दुबे
हमारे देश को आज़ाद हुए 75 साल हो गए. हम इस अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. इसके तहत सरकार ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चला रही है जिसमें सभी देशवासियों से अपील की गई है कि वे 13 से 15 अगस्त तक अपने-अपने घरों पर तिरंगा फहराएं।
तिरंगे के मान और सम्मान को बनाए रखने के लिए राष्ट्रध्वज से जुड़े नियमों का का जरूर ध्यान रखें. आइए जानते हैं कि नेशलन फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में क्या क्या नियम हैं?
तिरंगा फहराने के नियम
साल 2002 से पहले आम लोगों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी इसके अलावा वे अपने घर या ऑफिस में तिरंगा झंडा नहीं फहरा या लगा सकते थे इसके लिए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी गई फिर सुप्रीम कोर्ट ने इसकी अनुमति दी ।
इसके बाद 26 जनवरी 2002 को इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया गया. इसके अनुसार अब कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है, लेकिन इन नियमों का पालन करना होगा
- तिरंगा हाथ से काता या बुना हुआ या मशीन से बना हुआ होना चाहिए।
- यह कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना होना चाहिए। इससे पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने तिरंगे को फहराने या लगाने की अनुमति नहीं थी.
- अब राष्ट्रध्वज किसी भी दिन, किसी भी वक्त फहराया जा सकता है. इससे पहले केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक झंडे को फहराने की अनुमति थी।
- झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए।
- केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा नहीं लगाया या फहराया जा सकता।
- तिरंगे को फोल्ड करते वक्त उसे पट या क्षैतिज अवस्था में रखें.
- इसके बाद इसे इस तरह फोल्ड करें कि केसरिया और हरे पट्टी के बीच सफेद पट्टी हो.
- ये भी ध्यान रखें कि सफेद पट्टी पर अशोक चक्र दिखाई दे.
- तिरंगे पर कुछ भी लिखना या डिजाइन बनाना गैरकानूनी है.
- किसी भी बिल्डिंग या सामान को ढंकने के लिए तिरंगे का प्रयोग नहीं कर सकते.
- तिरंगा फहराते वक्त यह यह ध्यान रखना चाहिए कि, तिरंगा किसी भी हाल में जमीन को ना छुए.
- तिरंगे को फाड़ना गैरकानूनी है.
- अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
- झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।