टीचर्स डे पर स्पेशल प्रस्तुति…जानें ‘गूगल गुरु’ के दौर में क्या है शिक्षकों की स्थिति?
टीचर्स डे यानि शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है. भारत के पहले उपराष्ट्रपति, दूसरे राष्ट्रपति, शिक्षक, भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर पर टीचर्स डे मनाया जाता है. आज के दौर में गूगल के पास हर सवाल का जवाब है. कई लोग गूगल को आधुनिक युग का गुरू मानते हैं ऐसे में पारंपरिक टीचर्स की क्या स्थिति है, आइए जानते हैं
टीचर्स डे हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
छात्र अपने प्रिय शिक्षकों को याद करते हैं. उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं. शिक्षकों के बारे में कहा गया है…
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
ये संस्कृत का एक श्लोक ही शिक्षक के बारे में सबसे अहम बात कह देता है । इस श्लोक का अर्थ है – गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर है; गुरु साक्षात परमब्रह्म हैं; ऐसे गुरु को मैं नमन करता हूँ।
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस ?
शिक्षक दिवस हर साल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है. उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था। वे देश के पहले उपराष्ट्रपति, दूसरे राष्ट्रपति और महान विद्वान, दार्शनिक और शिक्षक थे. उनको भारत रत्न से भी नवाजा गया था।
पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था. दरअसल ऐसा माना जाता है कि जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे।
तब उन्होंने कहा था कि ‘मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मुझे गर्व होगा। उनकी इस इच्छा के बाद पहली बार साल 1962 में शिक्षक दिवस मनाया गया था और तब से ये दिवस हर साल मनाया जाता है.
‘गूगल गुरु’ के दौर में शिक्षकों की स्थिति
आज का दौर डिटिटिलाइजेशन का है. सब कुछ ऑन-लाइन उपलब्ध है. कोरोना ने ऑन-लाइन टीचिंग और लर्निंग को बढ़ावा दिया. आज कई शिक्षक ऑन लाइन ही पढ़ाते हैं लेकिन जो बात स्कूल-कॉलेज में जाकर टीचर से आमने सामने पढ़ने में है वो कम्प्युटर के सामने बैठकर पढ़ने में नहीं है.
गूगल को आधुनिक युग का सबसे बड़ा गुरु माना जाता है. दरअसल लोगों को लगता है कि गूगल के पास हर सवाल का जवाब होता है लेकिन गूगल के जवाब पूरी तरह से सत्य और प्रमाणिक नहीं होते.
गूगल गुरु के दौर में पारंपरिक टीचर्स की स्थिति ऐसी बन गई है कि उन्हें अब अपने टींचिंग मैथड को टेक्नोलॉजी बेस्ड बनाना पड़ रहा है. कई छात्रों को लगता है कि नोट्स, वीडियो सब कुछ इंटरनेट पर मौजूद है तो टीचर की क्या जरूरत है लेकिन ऐसी सोच सही नहीं है क्योंकि शिक्षक आपको आपका विषय अच्छे से पढा़ते हैं, समझाते हैं और सबसे बड़ी बात आपके ट्रेनिंग व प्लेसमेंट में मदद करते हैं.
आदर्श पांडे