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नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट जल्द लॉंच करेगा ‘सेहतमंद चीनी’…अब मीठा खाने से मरीजों को नहीं होगी कोई परेशानी

नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) कानपुर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है. ये संस्थान ऐसी 'सेहतमंद चीनी’ बनाने पर शोध कर रहा था जो डायबिटीज, मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए हो. इस 'सेहतमंद चीनी’ को जल्द लॉंच किए जाने की योजना है. इससे किस तरह से मरीजों को फायदा होगा, आइए जानते हैं

कानपुर. राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापे जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को खुशखबरी देने जा रहा है. अब इन लोगों को मीठा खाने से परहेज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि वे संस्थान द्वारा विकसित ‘सेहतमंद चीनी’ का प्रयोग कर सकते हैं.

क्या है ‘सेहतमंद चीनी’?

शर्करा संस्थान के मुताबिक ‘सेहतमंद चीनी’ एक तरह से लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली सुगर है. इसके सेवन करने से ब्लड में सुगर का लेवल नहीं बढ़ता है.  इस चीनी का ट्रायल अंतिम चरण में है। संस्थान जल्द ही ‘सेहतमंद चीनी’ को लांच करेगा।

विशेषज्ञों के मुताबिक दरअसल ग्लाइसेमिक इंडेक्स ही वह तरीका है, जिससे पता चलता है कि भोजन में कार्बोहाईड्रेट कितनी जल्दी ग्लूकोज में बदलकर खून में शामिल हो जाता है।

डॉक्टर्स लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन के सेवन की सलाह देते हैं. ग्लाइसेमिक इंडेक्स का लेवल शून्य से 100 तक होता है। हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले पदार्थों का स्तर 70 से अधिक रहता है। चॉकलेट, पिज्जा, एनर्जी ड्रिंक, केक, ब्रेड, बिस्कुट, आलू, तरबूज, खजूर, कद्दू आदि सब इसी श्रेणी में आते हैं। इनका सेवन करने से शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है।

वहीं लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 से नीचे माना जाता है। इसमें शुगर लेवल धीरे धीरे बढ़ता है। दलिया, ओट्स, अरहर, मसूर की दाल, सोयाबीन, सेब, खीरा, नाशपाती, बासमती चावल, बादाम, अखरोट, दूध आदि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले माने जाते हैं।

डायबिटीज के रोगी, खाएं मिठाई

‘सेहतमंद चीनी’ से बनी हुई मिठाई हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के रोगी खा सकते हैं. उन्हें अब अब उन्हें मीठा खाने से परहेज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे भी अब अन्य लोगों की तरह गुलाब जामुन, रसमलाई, खीर, रबड़ी, आईसक्रीम जी भरके खा सकेंगे।

दरअसल सेहत के प्रति जागरूक लोग मीठा खाने से परहेज करते हैं. उन्हें डर होता है कि कि इससे वजन बढ़ता है, ब्लड में शुगर लेवल बढ़ता है. जो सही भी है लेकिन कुदरती और वैज्ञानिक तरीके से बनी ‘सेहतमंद चीनी’ के उपयोग से बने मीठे खाद्य पदार्थ के सेवन से ऐसी कोई समस्या नहीं होती.

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कितनी होगी ‘सेहतमंद चीनी’ की क़ीमत?

नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ‘सेहतमंद चीनी’ सामान्य चीनी की तुलना में 15 से 20 फीसदी तक महंगी हो सकती है क्योंकि ये चीनी लो ग्लेसिमिक इंडेक्स वाली रहेगी। इससे ब्लड में शुगर का लेवल नहीं बढ़ेगा। इस चीनी को सामान्य चीनी से हटकर विकसित किया गया है। इस पर ट्रायल पूरा हो चुका है. ‘सेहतमंद चीनी’ का पेटेंट कराया जा रहा है। जल्द ही इसे लॉंच किए जाने की तैयारी है.

संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि इम्युनिटी बूस्टर सुगर यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीनी पर भी तेजी से काम चल रहा है। वैसे तो कोरोना काल में अदरक, सोंठ, काली मिर्च, जायफल, गुड़ को मिलाकर इस तरह की चीनी पहले बनाई जा चुकी है, लेकिन अब इसमें नए तत्व डाले जा रहे हैं।

इससे पहले संस्थान ने लो कैलोरी वाली चीनी बनाई थी इसे स्वीट सोरघम (मीठी चरी) से तैयार किया गया है। यह मिठास में शहद जैसी है, लेकिन इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम है।

Press Release

Bureau Report, YT News

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