दशहरे के त्योहार से मिलती इस सीख से संवर जाएगा जीवन…जानें किन कार्यों के लिए बेहद शुभ है ये दिन?
दशहरे के त्योहार को देश दुनिया में हिंदू बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं. राम रुपी अच्छाई की रावण रुपी बुराई पर विजय के कारण इसे विजयादशमी भी कहा जाता है. दशहरा यानि अपने अंदर की 10 बुराईयों के हरण का संदेश ये त्योहार देता है. आइए जानते हैं कि ये दिन किन कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है?
दशहरे के त्योहार को मनुष्य जीवन में पाए जाने वाले 10 बुराईयों को दूर करने का त्योहार माना जाता है. ये त्योहार हमें सीख देता है कि अपने अंदर से काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्सर, अंहकार, आलस्य, हिंसा और चोरी को त्याग देना चाहिए. ऐसा करने पर हमारा जीवन संवर जाएगा.
दशहरे से क्या मिलती है सीख?
- ‘घर का भेदी लंका ढाये’ इस कहावत का अर्थ है कि घर के लोग ही कई बार विनाश के कारण बनते हैं. अगर रावण ने अपने भाई विभीषण को नाभि में अमृत की बात नहीं बताते यानि अपना भेद यानि सीक्रेट नहीं बताते तो राम रावण को नहीं मार पाते. इसलिए पहली सीख यही है कि अपना सीक्रेट अपनों से भी शेयर नहीं करना चाहिए.
- रावण ज्ञानी था, विद्वान था, तंत्र-मंत्र, सिद्धियों और शस्त्र-शास्त्रों का ज्ञाता था लेकिन जब उसे इन्हीं सब का अभिमान हो गया तो वह भक्ति और ज्ञान के मार्ग से भटक कर अज्ञान और अंहकार के रास्ते पर चलते हुए अत्याचारी बन गया जो उसके नाश का कारण बना इसलिए हमें सीखना चाहिए कि हमारे पास कितना भी ज्ञान हो, पैसा हो, वैभव हो लेकिन हमें उसका अभिमान नहीं करना चाहिए
- विजय दशमी का पर्व हमें ये भी सीख देता है कि हमें अपने अंदर की 10 बुराईयों पर विजय पाना चाहिए. ये बुराईयां है काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्सर, अंहकार, आलस्य, हिंसा और चोरी. हमें इन बुराईयों को दूर करके अच्छाईयों को अपनाना चाहिए
- दशहरे के दिन या शाम के समय नीलकंठ नाम के पक्षी का दर्शन बेहद शुभ माना जाता है. इससे संदेश मिलता है कि हमें सभी जीव जंतुओं के प्रति अच्छे भाव रखना चाहिए
इन कार्यों के लिए शुभ है दशहरे के दिन
दशहरे का त्योहार अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इसीलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. ये दिन प्रॉपर्टी, व्हीकल, फ्लैट, घर, बिल्डिंग, बिजनेस, ऑफिस, संपत्ति खरीदारी-बिक्री के आदि के लिए शुभ दिन माना जाता है.
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राम रावण युद्ध का भावार्थ
राजा राम थे तो, रावण भी राजा था।
परमवीर राम थे तो, रावण भी महाबली था।
ज्ञानी राम थे तो, महाज्ञानी रावण भी था।
सन्यासी राम बने तो, संयमी रावण भी रहा।
पति धर्म राम ने पूरा किया तो, भ्राता धर्म रावण ने पूर्ण किया।
पिता को दिया वचन राम ने निभाया तो,
बहन को दिया वचन रावण ने भी निभाया।
सत्य राम थे तो झूठा रावण भी नहीं था।
फिर युद्ध क्यों?
राम की जीत और रावण की हार क्यों?
यह युद्ध था..
ज्ञान और महाज्ञान के सही-गलत उपयोग का।
सत्य से ऊपर अति आत्मविश्वास का।
परिजन की सलाह नकारने का।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम और मतिभ्रम दशानन रावण का।
राम नीति और रावण प्रवृत्ति का।
त्यागी राम और अहंकारी रावण का।
आइये इस दशहरे पर
देश, समाज और अपने अंदर के राम-रावण को पहचाने।
ज्ञान और बल के सही-गलत उपयोग को जाने।
सत्य और अहंकार के भेद को पहचाने।