फिल्मों की पायरेसी रोकने के लिए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला…जानिए क्या है मामला?
फिल्मों की पायरेसी एक बड़ा मुद्दा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पायरेसी के कारण फिल्म इंडस्ट्री को हर साल लगभग 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. अब सूचना प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 1952 के तहत नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है जिनको पायरेसी की शिकायत मिलने के 48 घंटों के अंदर कार्रवाई करनी होगी
फिल्मों की पायरेसी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार का सूचना प्रसारण मंत्रालय कड़े कदम उठा रहा है। किसी भी नई फिल्म के रिलीज होने से उसकी पायरेसी हो जाती है. फिर वह फिल्म डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ जाती है तो इससे फिल्ममेकर्स को लाखों का नुकसान होता है.
पायरेसी रोकेंगे अधिकारी ?
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी के मामले में सख्ती दिखाई है. सरकार ने पायरेसी रोकने की जिम्मेदारी नोडल अधिकारियों पर डाल दी है. इन अधिकारियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से पायरेटेड कंटेंट को हटाने का निर्देश दिया गया है।
पायरेसी रोकने के लिए देशभर के अलग-अलग इलाकों में 12 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है. ये अधिकारी उन लोगों का पता लगाएंगे जो फिल्मों के प्रिंट की चोरी करते हैं या फिर उनको चोरी छिपे डिजिटल प्लेटफॉर्म या स्मार्टफोन पर बेंचते है. किसी भी फिल्म या -संगीत की चोरी की शिकायतें मिलने पर 48 घंटे अंदर कार्रवाई की जाएगी।
पायरेसी से होता है 20 हज़ार करोड़ का नुकसान
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पायरेसी फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी समस्या है. के कारण फिल्म इंडस्ट्री को हर साल लगभग 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसको रोकने के लिए इसी साल संसद के मानसून सत्र में सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 1952 पारित किया गया था ताकि पायरेसी पर सख्ती से रोक लगााई जा सके
इस संशोधित कानून के बाद ही पायरेसी की कंप्लेन प्रॉसेस और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायरेटेड कंटेंट को हटाने के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं जो कि संबंधित इलाके के नोडल अधिकारियों के द्वारा किया जाएगा।
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स्मार्टफोन, 5G तकनीकि और पायरेसी
आजकल लगभग हर किसी के पास स्मार्टफोन हैं. इंटरनेट का तेजी से प्रचार प्रसार है. फिल्मों में रुचि रखने वाले और फिल्मे देखने वालों की संख्या भी लाखों-करोंड़ो हैं. ऐसे में पायरेसी के जरिए वे लोग फ्री में कंटेंटे देखते हैं. इसलिए पायरेसी का व्यापार करने वाले खूब कमा रहे हैं.
अब ऐसा करने वालों के खिलाफ मानसून सत्र में पारित सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 1952 के तहत नोडल अधिकारी सख्त कार्रवाई करेंगे और पायरेसी से जुड़े नेटवर्क को तोड़ने का काम करेंगे.
गौरतलब है इस कानून में लगभग 40 साल बाद संशोधन किया गया है. इसमें अब डिजिटल पायरेसी सहित फिल्म पायरेसी को भी शामिल किया गया है.
इस संशोधित कानून के मुताबिक अब पायरेसी करने वालों को कम से कम 3 महीने की कैद और 3 लाख तक रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. इसके अलावा पायरेसी से जुड़े मामले की गंभीरता को देखते हुए कैद की समय सीमा और जुर्माने की राशि को और अधिक बढ़ाया जाएगा।
वहीं इस कानून के बारे में सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस संशोधित कानून से फिल्म पायरेसी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. इससे फिल्म इंडस्ट्री की बहुत बड़ी राहत मिलेगी।