दिवाली स्पेशल: लक्ष्मी जी नेताओं पर ही क्यों रहती हैं सबसे अधिक मेहरबान…कारण जानकर रह जाएंगे हैरान?
दिवाली स्पेशल त्योहार है. अमीर-गरीब हर कोई इस त्योहार में धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं ताकि उनकी ज़िंदगी में धन की कमी नहीं रहे वहीं लक्ष्मी जी की सबसे अधिक मेहरबानी नेता नाम की प्रजाति पर क्यों रहती हैं, आइए इस व्यंग्यात्मक लेख के जरिए जानते हैं
दिवाली स्पेशल फैस्टीवल है. इस मौके पर सबसे पहले सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। आप पर लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहे. वैसे तो सबसे अधिक लक्ष्मी जी की कृपा नेताओं पर बरसती है. आइए जानते हैं कैसे
लक्ष्मी जी और लोकतंत्र
वैसे तो लक्ष्मी जी की महिमा हर युग में रही है; लेकिन कलयुग में भारतीय लोकतंत्र में इसकी महिमा दिनोदिन बढ़ती जा रही है। लक्ष्मी जी की ताक़त से पार्टियों के चुनावी टिकट मिलते हैं; लक्ष्मी जी के प्रताप से चुनाव जीत कर सत्ता मिल जाती है। भारतीय लोकतंत्र में ‘कुर्सी’ पर बैठने के सपने भी लेने के वही हक़दार हैं जिनके पास लक्ष्मी जी की ताक़त है।
पिछले कुछ दशकों से चुनावों में लक्ष्मी जी की महिमा देख लीजिए. चाहे सत्ता पक्ष का नेता हो या विपक्ष का…नेता तो नाम का होता है, असली काम और चुनावी संग्राम तो ‘लक्ष्मी’ जी का होता है. ऐसा लगता है कि सर्वशक्तिमान लक्ष्मी जी सभी उम्मीदवारों की ओर से चुनावी मैदान में उतरती हैं. जिस पर लक्ष्मी’ जी की मेहरवानी होती है वही नेता चुनाव जीतता है
महाभारत की कथा आपने सुनी होगी। कहा जाता है कि मरने वाला भी ‘वही’ था और मारने वाला भी ‘वही’ था यानी भगवान श्री कृष्ण। द्वापर में महाभारत, ‘न भूतो न भविष्यति’ जैसा युद्ध भगवान श्रीकृष्ण ने लड़ा था। अब लोकतंत्र में ‘चुनावी युद्ध’ धन की देवी लक्ष्मी जी लड़ती हैं इसलिए विजय भी उसी की और पराजय भी उसी की।
बिनु लक्ष्मी कृपा मिलहि नहिं सत्ता
दरअसल आज के युग में लोकतंत्र की देवी लक्ष्मी जी ही हैं। कुर्सी मिलने के साथ ही, कुर्सी मिलने के बाद भी नेताओं की सम्पत्ति दिन दूना, रात चौगुना बढ़ती है.
लक्ष्मी जी के प्रताप से ही सत्ता की ‘कुर्सी’ मिलती है इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि हर चुनाव में धन बल उत्तरोत्तर बढ़ रहा है। एक समय था जब 5-7 हज़ार करोड़ रुपए में लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाते थे। लक्ष्मी जी की महिमा इस क़दर बढ़ गई है कि 2019 में चुनावी ख़र्च 40 से 50 हज़ारी करोड़ के बीच था। 2024 में यह आँकड़ा कहाँ जाएगा, ये भी आने वाले वक्त में पता चल जाएगा।
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लक्ष्मी जी की आरती का अर्थ समझिए
लक्ष्मी जी पूजा के बाद आरती भी गाई जाती है। उसकी एक अतिमहत्त्वपूर्ण लाइन पर शायद आपने कभी ग़ौर ना किया हो। वो लाइन है- जिस घर तुम रहती हो, सब सद्गुण आता। सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता। लक्ष्मी जी का पहला गुण है- जिस घर तुम रहती हो ‘सब सद्गुण आता’ यानी जिसके घर लक्ष्मी है उसके अवगुण किसी को नज़र नहीं आते; अवगुण भी गुण दिखने लगते हैं। यह है लक्ष्मी जी का जादू।
अब दूसरी ख़ूबी देखिए। आरती में कहा है ‘सब संभव हो जाता’ यानी जहाँ लक्ष्मी हैं वहाँ कुछ भी असंभव नहीं है। भौतिक वस्तुएँ ही नहीं, इंसान भी ख़रीदे जा सकते हैं, भले ही इंसान मतदाता हो, नेता हो, नौकरशाह हो, या किसी अन्य रूप में हो। (अपवाद हर जगह होते हैं। लक्ष्मी जी भी ‘अपवाद’ को जीने का हक़ देती हैं।)
आरती के अनुसार लक्ष्मी जी का तीसरा गुण- मन नहीं घबराता। आमजन भी इसका अर्थ बख़ूबी जानता है। जैसे ही लक्ष्मी जी घर आती हैं, मन खिल जाता है; सुरक्षा का भाव स्वतः पैदा हो जाता है और अकारण जन्मी घबराहट लक्ष्मी जी के आते ही ग़ायब हो जाती है।
खैर अंत में हम तो यही कहेंगे कि देवी लक्ष्मी की कृपा नेताओं के साथ साथ देश के सभी नागरिकों विशेषकर गरीब, बेरोजगार लोगों पर भी बरसे ताकि सभी स्वस्थ रहें, संपन्न रहें.