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यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर उत्तराखंड सरकार की बड़ी तैयारी…लिव इन, तलाक, हलाला पर सामने आई ये जानकारी
यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को कानून बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने पूरी तैयार कर ली है. सूत्रों के हवाले जानकारी मिली है कि हर तरह के तलाक, बहुविवाह, हलाला और इद्दत पर रोक लगाई जाएगी, केवल कानूनी तलाक ही मान्य होगा. लिव इन रिलेशन को लेकर इस बिल में क्या प्रावधान है, आइए जानते हैं
यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को लेकर उत्तराखंड सरकार गंभीरता से काम कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही इस बिल को विधानसभा में पेश किया जाएगा.
यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल के प्रावधान
- उत्तराखंड में यूसीसी यानि यूनीफॉर्म सिविल कोड को जल्द लागू किया जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बिल के प्रमुख प्रावधानों में “धार्मिक तरीके वाले हर तरह के तलाक़ अवैध होंगे. इसका मतलब ये हुआ कि ट्रिपल तलाक़, तलाक़ ए हसन और तलाक़ ए अहसन पर बैन लगेगा. ये सभी कानूनी रुप से अमान्य होंगे केवल कानूनी रुप से लिया गया तलाक ही मान्य होगा.पति-पत्नी दोनो को समान रुप से कानूनी रुप से तलाक लेने का अधिकार मिलेगा। तलाक लेने का जो आधार पति के लिए होगा, वही पत्नी के लिए भी होगा. अभी पर्सनल लॉ के नियमों के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग अलग आधार होते हैं।
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इस बिल में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर पर जरूरी बात कही गई है. जो कपल लिव इन पर रहते हैं उन्हें अपने रिलेशनशिप स्टेटस को कानूनी रुप से डिक्लेअर करना होगा तभी इसे वैधानिक मान्यता मिलेगी. ये जानकारी लड़का-लड़की के माता-पिता को भी दी जाएगी.
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हर तरह के बहुविवाह, निकाल हलाला और इद्दत पर कड़ी रोक लगाई जाएगी. वहीं लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जा सकती है ताकि वे शादी से पहले कम से कम ग्रेजुएशन की डिग्री ले सकें।
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हर कपल के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। मैरिज रजिस्ट्रेशन के बिना किसी भी तरह की सरकारी योजना से मिलने वाले लाभ नहीं मिलेंगे
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लड़कों की तरह लड़कियों को भी माता-पिता के उत्तराधिकार में बराबर का हिस्सा मिलेगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्री को मिलने वाले मुआवजे में उसे अपने सास ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी उठानी होगी वहीं अगर पत्नी फिर से शादी करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में पति के माता-पिता का भी हिस्सा होगा। वहीं अगर पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति को उठानी होगी.
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मुस्लिम महिलाओं समेत सभी को बच्चा गोद लेने का समान अधिकार मिलेगा. गोद लेने की प्रक्रिया को सरल और सहज बनाया जाएगा.