ED, CBI, IT की छापेमारी में उजागर होता है ‘भ्रष्टाचार’…जानिए ज़ब्त हुए ‘कैश’ पर किसका होता है अधिकार?
ED, CBI, IT जैसी सरकारी एजेंसियां अक्सर छापेमारी करती रहती है ताकि भ्रष्टाचार और काले धन पर रोक लगाई जा सके. अक्सर इन एजेंसियों के छापेमारी की ख़बरें आती हैं जिसमें करोड़ों रुपये, अवैध संपत्ति के कागजात और सोने-चांदी के गहने जब्त किए है। आखिर इन जब्त किए गए करोड़ों के कैश, गहनों का क्या होता है, ये पैसे कहां जाते हैं, आइए जानते हैं.
ED, CBI, IT की छापेमारी में जो रुपए, सोने चांदी जैसे सामान ऐजेंसियां जब्त करती हैं, क्या इस पैसे को वापस करना पड़ता है. इस प्रापर्टी पर किसका मालिकाना अधिकार किसका होता है.
हाल ही में कांग्रेस नेता धीरज साहू के यहां छापेमारी के दौरान कैश को गिनने के लिए 40 मशीनों को लगाया था. हफ्ते भर कैश की गिनती चलती रही. इंकम टैक्स की छापेमारी में लगभग 350 करोड़ की नकदी के साथ ही 3 किलो सोना भी बरामद हुआ था. ऐसी और भी घटनाएं हैं.
हाल ही में 5 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हुए हैं और अब इस साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. हर तरह के चुनाव में बड़े पैमाने पर अवैध रुप से करोड़ों रुपए का लेनदेन होता है. चुनाव आयोग के अनुसार, इन राज्यों में पिछले चुनाव की तुलना में जब्त की गई अवैध धनराशि में काफी बढ़ोतरी हुई है.
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जब्त होता है अवैध धन
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट साल 2002 में लागू किया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक लगभग 5,422 केस दर्ज हुए हैं जिनमें एजेंसियों ने छापेमारी करते हुए करीब 1.04 लाख करोड़ रुपए जब्त किया है. इनमें से कई हाई प्रोफाइल लोगों के नाम सामने आए हैं।
छापेमारी के दौरान जितना भी कैश जब्त किया जाता है उसके बारे में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत पूरी जानकारी रखी जाती है. छापेमारी में जो भी कैश मिलता है, उसके लिए एसबीआई यानि भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बुलाया जाता है जिनके साथ एक स्वतंत्र गवाह भी होता है इसके बाद पैसों को लेकर पूरी कागजी कार्रवाई की जाती है।
कहां जाता है जब्त हुआ कैश?
इसके बाद ईडी के अधिकारी जब्त किए गए कैश पर मेमो लेटर तैयार करते हैं जिसमें पैसों की पूरी जानकारी लिखी जाती है। इसमें लिखा होता है कि ज़ब्त किए गए लाखों या करोड़ों रुपए में से कितने 2 हजार, 500, 200 या 100 रुपये के नोट हैं.
इसके बाद टोटल कैश को स्टेट बैंक में ईडी के एकाउंट में पैसे जमा करा दिए जाते हैं। इसके बाद केस चलता है और अगर सुनवाई के दौरान आरोपी जब्त किए गए अवैध पैसे का सही स्रोत नहीं बता पाता है तो फिर अंत में यह पैसा केंद्र सरकार के पास चला जाता है और अगर कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये साबित हो जाता है कि पैसे अवैध तरीके से नहीं कमाए गए तो फिर इंकम टैक्स के नियमों के मुताबिक टैक्स और पेनाल्टी काटकर बाकी पैसे आरोपी को वापस कर दिए जाते हैं।
चुनाव आयोग की छापेमारी
हमारे देश में अक्सर कोई न कोई चुनाव होता रहता है. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव से पहले चुनाव आयोग की छापेमारी में से लाखों रुपए बरामद होते हैं. चुनाव आयोग के अधिकारियों की छापेमारी में जो भी कैश बरामद होता है उसे आयोग इंकम टैक्स डिपार्टमेंट को दे देता है
इसके बाद इंकम टैक्स विभाग के अधिकारी बरामद कैश की जांच करते हैं कि ये पैसा वैध या अवैध तरीके से कमाया गया है. इस जांच के बाद अगर आरोपी व्यक्ति सही साबित होता है, तो उसे पैसे वापस कर दिए जाते हैं, लेकिन अगर आरोप सिद्ध हो जाता है तो नियमों के मुताबिक आरोपी को सजा या जुर्माना देता होता है और आरोपी का ज़ब्त किया गया पैसा सरकार के खाते में जमा करा दिया जाता है।
एजेंसियों के पास रहता है कैश
जांच एजेंसियों जैसे ED, CBI, IT जब भी कोई छापेमारी की कार्रवाई करती हैं तो नियमानुसार छापेमारी में मिला कैश, गोल्ड, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि सब सामाना एजेंसी के अधिकारी अपने पास रखते हैं और उसकी पूरी नोटिंग होती है.
इसके बाद मामले की जांच होती है, कई बार मामला कोर्ट में चलता है फिर जब केस की सुनवाई पूरी हो जाती है और आरोपी पर भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध हो जाता है तब जब्त किए गए करोड़ों रुपए सरकारी खजाने में चले जाते हैं.
वहीं जब तक केस चलता है, तब तक एजेंसियां इन पैसों को अपने बैंक अकाउंट में रख सकती हैं लेकिन एजेंसी इस पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं.