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शुभ नववर्ष 2024: नए साल में ज़िंदगी को बनाएं बेमिसाल…बस इन बातों का रखें ख्याल
नए साल 2024 का आगमन हो चुका है. आज नए साल का पहला दिन है. ये खुशी और ग़म दोनों का पल है. हलांकि ये आपके नज़रिए पर निर्भर करता है. खुशी इसलिए क्योंकि आपका एक साल हंसी-खुशी, सुख-शांति से बीता और ग़म इसलिए क्योंकि आपकी ज़िंदगी का एक साल और कम हो गया. ऐसे में ज़िंदगी को बेमिसाल बनाने के लिए नववर्ष के 9 संकल्प क्या होने होने चाहिए, आइए जानते हैंं
अरुणेश द्विवेदी
हमारे ही देश में कभी लोग 100 साल तक जीते थे लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक आज की लाइफ स्टाइल में 100 में से सिर्फ 11 लोग 60 साल तक तो सिर्फ 7 लोग 70 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं. ऐसे में हमें नए साल में ज़िंदगी को बेमिसाल बनाने के लिए इन 9 संकल्पों पर हमें ध्यान देना चाहिए.
- सेहत का सुख- हमें इस दुनिया में कब आना है और कब यहां से जाना है, ये हमारे हाथ में नहीं है लेकिन हमें अपना जीवन कैसे जीना है, ये हमारे हाथ में हैं. इसलिए हमें सबसे पहला अपना और अपनों की शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक सेहत का ध्यान रखना है. शारीरिक सेहत के लिए श्रम करना जरूरी है. खाना कम खाइए. खाने के लिए नहीं जीना है, जीने के लिए खाना है. बच्चों को मोबाइल, टीवी से दूर रखकर पार्क में ले जाएं, उन्हें खेलने दें. पैदल चलना, तैरना, दौड़ना, सीढ़िया चढ़ना, पूरी नींद लेना, दिन भर में कम से कम 2 लीटर पानी पीना ये सब जरूरी है वहीं, मानसिक सेहत के लिए हंसी खुशी, जो प्राप्त है वही पर्याप्त है, टेंशन डिप्रेशन से दूर, मन की मस्ती रहे भरपूर, अध्यात्किकत सेहत के लिए धार्मिक पुस्तके पढ़ें, प्रकृति के करीब रहें, जीवन दर्शन को जाने समझें.
- परिवार से प्यार- आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में इंसान मशीन बनता जा रहा है. पैसे के पीछे भागना पड़ रहा है. हमेशा ध्यान रखें कि पैसा कमाने की कोई सीमा नहीं है. पैसा ज़िंदगी के लिए है, ज़िंदगी पैसों के लिए नहीं है. ज़रूरत से ज्यादा पैसों के पीछे भागने के कारण आप अपने परिवार को समय नहीं दे पाएंगे. परिवार से प्यार बेहद ज़रूरी है इसलिए आपको पैसे के पीछे नहीं भागना है, कुछ ऐसा करो कि पैसा आपके पीछे भागे. कबीरदास जी ने वर्षों पहले कहा था साईं इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाए..मैं भी भूखा न रहूं, साधु भी भूखा न जाए.
- गुस्से से दूर, जीवन जिएं भरपूर- आजकल लोग इतना ज्यादा परेशान है, टेंशन में है या डिप्रेशन में है कि ज़रा ज़रा सी बातों पर गुस्सा आ जाता है. रोड रेज जैसी घटनाएं अक्सर होती है. ऐसे में एक संकल्प ये लें कि आपको CALM से रखना है काम अर्थात आपको अपने गुस्से पर कंट्रोल रखना है, मस्त रहना है व्यस्त रहना है और जब ऐसे रहेंगे तो स्वस्थ भी रहेंगे
- जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है- एक गाने की लाइनें हैं कि जो मिल गया, उसी को मुकद्दर समझ लिया, जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया, मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया. अक्सर हम जो चाहते हैं वह जब नहीं मिलता तो हम परेशान हो जाते हैं. इसलिए जो हमारे पास है उसकी कद्र करें जो नहीं है उसके लिए मेहनत करें, प्रयास करें मिल जाए तो अच्छा नहीं मिले तो और भी अच्छा क्योंकि अगर वो आपके मन का नहीं हो रहा तो इसका मतलब वो ईश्वर के मन का हो रहा है और आपके लिए जो बेहतर है ईश्वर आपके लिए वही करता है.
- अहंकार न करें- आप कितने भी खूबसूरत हों, कितना भी अच्छा करियर हो, कितने भी सोशल मीडिया में आपके फॉलोअर्स हों, इन सब से खुश रहें लेकिन अहंकार से बचें क्योंकि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है…न आपका पद, पैसा, प्रतिष्ठा इसलिए आलोचना से आहत नहीं होना, प्रशंसा से पिघलना नहीं.
- दिखावे से रहें दूर- आजकल शोऑफ का ज़माना है. दिखावे की ज़िंदगी असली सुख नहीं देती इसलिए दिखावे की ज़िंदगी नहीं असली जिंदगी जी भर के जिओ. अपनी तुलना दूसरे से न करें. दूसरे को दिखाने के लिए आप क्रेडिट कार्ड से ज़रूरत से ज्यादा खरीदारी करते हैं फिर कर्ज के जाल में फंस जाते हैं.
- इंसानियत का रखें ध्यान- सबके साथ अच्छा व्यवहार कीजिए, जाति-धर्म, हिंदू-मुस्लिम,से ऊपर उठकर सबमें इंसान और इंसानियत देखिए…हर किसी का मान सम्मान कीजिए चाहे वे सब्जी वाला हो या फिर आपके घर में काम करने वाली बाई…न कोई बड़ा है, न कोई छोटा…सभी ईश्वर की संतान है इसलिए सभी के साथ समान व्यवहार करें. सभी धर्मों के लोगों को एक दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान करना चाहिए. लोभ, लालच, दबाव में धर्म परिवर्तन, लव जेहाद जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए अन्यथा गज़वा ए हिंद जैसी भावना का जवाब भगवा ए हिंद जैसी बातों पर निर्भर करेगा.
- राष्ट्र सर्वप्रथम- अक्सर हम सरकार और सिस्टम की आलोचना करते हैं. ये सच है कि सिस्टम में खामियां हैं उनको दूर करने के प्रयास सरकार, समाज और नागरिक के स्तर से करना चाहिए. सरकार की आलोचना करना सही है लेकिन देश की आलोचना करना गलत है. आरक्षण, बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों पर धरना प्रदर्शन करना सही है लेकिन इसकी आड़ में दंगा फसाद करना, पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान करना गलत है. देश ने आपको क्या दिया इस पर नहीं बल्कि आप देश को क्या दे रहे हैं. इस पर फोकस करें .
- प्रकृति से करें प्यार- क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा…पंच तत्व से बना शरीरा. अर्थात पृथ्वी, पानी, आग, आकाश और हवा इन पांच चीजों से मिलकर मनुष्य का शरीर बनता है. ये सब अनमोल चीजें हमें कुदरत से, प्रकृति से फ्री में मिली हैं लेकिन हम क्या कर रहे हैं, पानी ज़हरीला बनता जा रहा है, वॉटर लेवल डॉउन होता जा रहा है, हवा प्रदूषित होती जा रही है, विकास के नाम पर पहाड़ तोड़े जा रहे हैं, नदियां प्रदूषित हो रही हैं. इसलिए अपने लेवल पर प्रकृति की रक्षा करें, पेड़-पौधे लगाएं, वातावरण शुद्ध बनाएं तभी जीवन अच्छे से जी सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को कुछ दे सकेंगे.