बिहार में चयनित टीचर्स के लिए नहीं है सब कुछ ‘फाइन’…इन वजहों से कर रहे हैं सरकारी नौकरी से रिजाइन…!!
बिहार में शिक्षा जगत में बहार लाने के लिए नीतीश कुमार की सरकार केके पाठक के नेतृत्व में आमूलचूल परिवर्तन कर रही है. इस दिशा में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन यानि बीपीएसी के द्वारा हज़ारों शिक्षकों का सिलेक्शन किया गया लेकिन यूपी समेत कई अन्य राज्य के चयनित टीचर्स 1-2 महीने बाद ही नौकरी से इस्तीफा दे रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है इसका कारण और क्या हो सकता है इसका निवारण?
बिहार में सरकारी शिक्षकों की बड़ी संख्या में नियुक्ति लंबे समय बाद हुई है. बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा पास करके सरकारी नौकरी पाने वाले कई शिक्षक यूपी समेत अन्य राज्यों से हैं.
इस्तीफों का दौर जारी
सरकारी नौकरी पाने के लिए युवक युवतियां कड़ी मेहनत करते हैं. इसके बाद अगर उनका सिलेक्शन होता है तो ये उनके और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होती है कि आखिरकार मेहनत रंग लाई और सरकारी नौकरी मिली लेकिन सिलेक्शन के बाद अगर कोई नौकरी से इस्तीफा दे रहा है तो ज़रूर कोई ख़ास परेशानी होगी.
बिहार के शिक्षा विभाग के मुताबिक अब तक समस्तीपुर से 55, मुजफ्फरपुर में 40, गया में 16, गोपालगंज में 9 और बेगूसराय में 7 शिक्षकों ने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 2 महीनें में 150 से अधिक नव-नियुक्त शिक्षकों ने रिज़ाइन किया है और ये सिलसिला लगातार जारी है.
इस्तीफे का क्या है कारण?
BPSC ने हाल ही में 1 लाख 22 हजार टीचर्स का सिलेक्शन किया है जबकि 1 लाख 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति का प्रॉसेस चल रहा है. सवाल ये है कि चयनित अभ्यर्थी इस्तीफा क्यों दे रहे हैं तो इसका जवाब है बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के नियम कानून.
दरअसल बिहार से बाहर के लोग खास तौर पर यूपी के सिलेक्टेड कंडीडेट्स को नौकरी की शर्तें और माहौल पसंद नहीं आ रहा है. बिहार सरकार ने स्कूलों का समय 9 से 5 कर दिया है. शनिवार को भी स्कूल बुलाया जा रहा है. होली-दिवाली जैसे कई हिंदुओं के त्योहार में मिलने वाली छुट्टियों को कम कर दिया गया है.
इसके अलावा बिहार के दूर-दराज ग्रामीण इलाकों में नियुक्त किया जा रहा है जहां बेसिक सुविधाएं भी नहीं है. इससे शिक्षकों में निराशा है और वे नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं.
क्या हो सकता है निवारण?
अगर चयनित शिक्षक इसी तरह से इस्तीफा देते रहे तो बिहार में शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव कैसे आएगा इसलिए सबसे पहले तो विभाग को शिक्षकों की समस्याएं सुननी और समझनी होंगी फिर जितना संभव हो सके, उन्हें सहयोग करना होगा.
इसके अलावा शिक्षकों को पोस्टिंग की अदला-बदली करने की अनुमति देनी चाहिए इसके लिए विभाग को संबंधित शिक्षकों को छूट देनी चाहिए तो आपसी सहमति के आधार पर एक ज़िले से दूसरे ज़िले में नौकरी करना चाहते हैं
सरकार को होली, दीवाली समेत कई बड़े हिंदुओं के त्योहारों में की गई छुट्टियों की कटौती वापस लेनी चाहिए इसके अलावा सर्दी और गर्मी की छुट्टियों के दौरान जब छात्र छुट्टियों पर होते हैं तो शिक्षकों को भी छुट्टी देनी चाहिए ताकि दूसरे राज्यों के टीचर्स अपना कुछ वक्त अपने घर में बिता सकें
इसके अलावा बंधक या बाध्यकारी तरीके से शिक्षकों से काम नहीं लिया जाना चाहिए. राइट टु एजुकेशन एक्ट के मुताबिक प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए एक वर्ष में 800 घंटे और जूनियर हाईस्कूलों में 1,000 घंटे की पढ़ाई कराना अनिवार्य है तो इसका पालन होना चाहिए।