अंजना राजगोपाल से साक्षात्कार: ‘खुद नहीं की शादी, लेकिन 400 से अधिक बच्चों की ज़िंदगी बना दी’
अंजना राजगोपाल...एक ऐसा नाम जिन्होंने 400 से अधिक बच्चों की ज़िंदगी संवारी और ये सिलसिला आज तक जारी है. लगभग 30 साल पहले केरल से दिल्ली आई अंजना ने बेसहारा बच्चो की सेवा में अपनी जिंदगी लगा दी. YT न्यूज से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वे कैसे नोएडा में बच्चों के खानपान से लेकर शिक्षा तक की जिम्मेदारी निभा रही है. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
अरुणेश कुमार
अंजना राजगोपाल…एक ऐसा नाम जिन्होंने 400 से अधिक बच्चों की ज़िंदगी संवारी और ये सिलसिला आज तक जारी है. लगभग 30 साल पहले केरल से दिल्ली आई अंजना ने बेसहारा बच्चो की सेवा में अपनी जिंदगी लगा दी. YT न्यूज से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वे कैसे नोएडा में बच्चों के खानपान से लेकर शिक्षा तक की जिम्मेदारी निभा रही है. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
आप केरल की रहने वाली हैं, लेकिन आपकी कर्मभूमि दिल्ली कैसे बन गई .
मैं 1988 में पापा के साथ दिल्ली आ गई थी. उस वक्त आईटीओ के पास प्यारेलाल भवन में मुझे एक बच्चा मिला जिसे कुछ लोग पीट रहे थे तो मैंने जाकर उसे बचाया तो पता चला कि वो अनाथ है फिर मैं उसे अपने घर ले आई.
मैं उस समय ऐसे लोगों को देखती थी जो हर महीने गाना बजाकर हमारे घरों में पैसे मांगने आते थे. वो असल में अनाथ बच्चे होते थे जो इस तरह से अपना पेट पालते थे. उन्हें देख मुझे बहुत तकलीफ होती थी.
फिर मैंने ऐसे ही बच्चों के लिए मैंने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया. यहां तक कि उन्होंने शादी भी नहीं की और अनाथ, बेसहारा बच्चों को सहारा देकर मां का प्यार देने लगी.
आपके शादी नहीं करने के फैसले पर आपके परिवार की क्या प्रतिक्रिया थी?
मेरी मां तो बचपन में ही नहीं रहीं. उसके बाद ही मैं पिताजी के साथ दिल्ली आई तो यहां पर जॉब करने लगी थी. हर परिवार की तरह मेरे परिवार के लोग चाहते थे कि मैं शादी कर लूं पर मैं बच्चों के माध्यम से समाज सेवा में इतना बिजी हो गई कि शादी के लिए समय ही नहीं निकाल पाई.
आपने बाल कुटीर नाम से एक संस्था की स्थापना किस उद्देश्य को लेकर की थी
बाल कुटीर नाम की संस्था बच्चों को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है. बच्चों की यहां पर एजुकेशन और वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें. ये शुरूआत में एक होम के रुप में शुरू की गई थी जो अब एक सोसायटी का रूप ले चुकी है. यहां पर बेसहारा बच्चों के रहने, खाने-पीने और शिक्षा देने का इंतजाम किया है. बाल कुटीर संस्था से अच्छी शिक्षा पाकर निकले कई बच्चे आज अच्छी नौकरी कर रहे हैं.
अब इसे साईं कृपा नाम से भी जाना जाता है जो कि नोएडा सेक्टर 12 में स्थित है. यहां पर बेसहारा बच्चों को पूरा प्यार, सही देखभाल और रोजगारपरक शिक्षा मिलती है. यहां उन मासूमों को पनाह मिलती है, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है, जिनका अपना कोई उन्हें मरने के लिए छोड़ गया या फिर दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे हैं, जिन्हें उनके जानने वाले अपने साथ रखना ठीक नहीं समझते, मानसिक रूप से असक्षम या ऐसे बच्चे जो घर से भागकर आए है.बच्चों का पुलिस वेरीफिकेशन कराते हैं, जो भी सरकारी नियम कानून हैं उनका पालन करते हुए हम बच्चों को रखते हैं.