सार्वजनिक अपमान से बचने के लिए महिला ने दे दी जान..एक व्यक्ति के साथ भागने पर ये सज़ा देने वाला था तालिबान..!!
ऐजेंसियां
खामा प्रेस के अनुसार तालिबान ने विवाहित पुरूष के साथ घर से भागी महिला के ऊपर पत्थराव करने की योजना बनाई थी.
सार्वजनिक अपमान से बचने के लिए दे दी जान
अपमान के डर से बचने के लिए महिला ने अपनी जान दे दी. तालिबानियों की कू्रता इस हद तक है कि जिस पुरूष के साथ ये महिला भागी थी उसे 13 अक्टूबर को सरेआम फांसी दे दी गई थी.
खामा प्रेस के मुताबिक तालिबान के घोर प्रांतीय पुलिस ने कहा है कि कि महिला कैदियों की जेल की कमी होने के कारण, उस आरोपी महिला को सार्वजनिक तौर पर पत्थरों से मारने की सजा सुनाई गई थी.
महिला ने सजा मिलने से पहले स्वंय को स्कार्फ की मदद से अपनी जान ले ली. दरअसल तालिबान के कई इलाकों से महिलाओ के घर से भागने की खबरें आई हैं तो इस पर तालिबान सरकार ने अपनी क्रूरता को जारी रखते हुए ऐसी महिलाओ को पत्थरों से मारने या फिर सार्वजनिक रूप से कोड़े बरसाने की सजा सुनाती है.
क्यों भाग रही हैं महिलाएं?
खामा प्रेस के मुताबिक महिलाओ के घर से भागने की स्थिति इसलिए पैदा हुई क्योंकि तालिबान सरकार ने महिलाओ के उपर कई प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे.
महिलाओं पर अत्याचार की शुरूआत शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने से हुई थी. इसके बाद छठी क्लास के आगे पढ़ने वाली छात्राओं का स्कूल जाना बंद कर दिया गया.
पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था. अभी तालिबान सरकार बेहद आर्थिक संकट से गुजर रही है. बुहत से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध भी उस पर लगे हैं.
महिलाओं अधिकार और स्वंतत्रता को तालिबान में लगभग खत्म कर दिया गया है. तालिबान में औरतें और लड़कियां गंभीर संकट का सामना कर रहीं है.
तालिबान के राज में महिलाओ को शिक्षा, नौकरी, व्यापार और हेल्थ जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
मीडिया सेक्टर में काम कर महिलाओं की नौकरी छीन ली गई है. तालिबान में 18 मिलियन के करीब महिलाएं स्वास्थय,शिक्षा और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहीं है. इसी तरह सुरक्षा एजेंसियों में कार्यरत महिलाओं को भी नौकरी से निकाल दिया गया है.