विचार/विश्लेषण

भारत पर हो रही है ‘महाभारत’…जानें भारत और इंडिया पर हो रहा है सार्थक संवाद..या है ये व्यर्थ का विवाद…?

भारत और इंडिया यूं तो हमारे देश के ही नाम है पर आजकल इसको लेकर खूब विवाद हो रहा है. विपक्ष का कहना है जब से मोदी सरकार के खिलाफ I.N.D.I.A गठबंधन बना है तब से सरकार को इंडिया नाम से नफरत हो गई है तभी सरकार सब जगह से इंडिया हटाना चाहती है वहीं बीजेपी का कहना है कि भारत ही असली नाम है अब इस पर व्यर्थ का विवाद हो रहा है या सार्थक संवाद, आइए जानते हैं

भारत, इंडिया, हिंदुस्तान, आर्यावर्त यूं तो हमारे देश के कई नाम है लेकिन संविधान में भारत और इंडिया दोनों नामों का जिक्र है. संविधान की प्रस्तावना में वी द पीपुल ऑफ इंडिया लिखा है तो हिंदी में हम भारत के लोग है.

अब ये बहस तेज हो गई है क्योंकि विपक्ष का कहना है कि जब से मोदी सरकार के खिलाफ I.N.D.I.A गठबंधन बना है तब से मोदी सरकार घबरा गई है उन्हें आगामी चुनाव में हार का डर सता रहा है इसीलिए वे इंडिया शब्द से नफरत करने लगे हैं और सब जगह से इंडिया शब्द हटा देना चाहते हैं वहीं बीजेपी का कहना है कि इंडिया गुलामी का प्रतीक है. भारत अब अपने असली नाम पर अपनी पहचान बना रहा है.

भारत बनाम इंडिया की पुरानी बहस

भारत और इंडिया की यूं तो पुरानी बहस है जिसमें कहा जाता है कि एक ही देश में दरअसल दो देश बसते हैं जिसमें एक है बड़े लोगों का इंडिया जिनके पास सब सुख सुविधाएं हैं. वे लाखों-करोंड़ों का गबन करके भाग जाते हैं तो भी कानून कुछ नहीं कर पाता

तो वहीं दूसरी तरफ है गरीब लोगों का देश भारत है जहां गरीबी है, बेरोजगारी है, भुखमरी है, अच्छे स्वास्थ्य और अच्छी शिक्षा की कमी है जहां लोगों का महंगाई से जीना मुश्किल है.

अब एक नई बहस हो रही है कि सरकार सब जगह से इंडिया की जगह भारत नाम बदलने जा रही है. यदि ऐसा हुआ तो इससे करोंड़ों का खर्च आएगा जो आम टैक्सपेयर्स का पैसा होगा

दरअसल सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि सरकार ने जो संसद का विशेष सत्र बुलवाया है उसमें कुछ बड़ा हो सकता है. नाम बदलने का प्रस्ताव भी मोदी सरकार ला सकती है. यदि ऐसा होता है तो सरकार को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं.

कई संस्थाओं के नाम से जुड़ा है इंडिया

देश में तमाम संस्थाओं के नाम में इंडिया है.  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, आईआईटी, आईआईएम ऐसे न जाने कितनी संस्थाएं हैं जहां इंडिया या इंडियन शब्द का प्रयोग वर्षों से होता चला आ रहा है

अगर सरकार आधिकारिक रुप से इंडिया के बजाय भारत के नाम का एलान करती है तो सभी सरकारी संस्थाओं का नाम बदलना होगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा करने पर लगभग 14 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा तब कहीं जाकर इंडिया की जगह भारत के नाम की ब्रांडिंग होगी तो क्या नाम बदलना बुद्धिमानी कहा जाएगा ?

नाम बदलने से बदलेगा काम?

सरकारें कभी जिलों का नाम बदलती हैं तो कभी सड़कों का नाम लेकिन क्या इससे सरकारी सिस्टम में होने वाला काम बदलता है. यदि नहीं तो क्या देश का नाम बदलने से कुछ होगा?

वैसे भी दुनिया भर में भारत इंडिया के नाम से ही अधिक जाना जाता है. ऐसे में भारत और इंडिया को लेकर जो सियासी बहस चल रही है दरअसल वह व्यर्थ की बहस है. इसमें कोई सार्थक संवाद न तो सत्ता पक्ष की तरफ से हो रहा है और न ही विपक्ष की ओर से. ये सिर्फ जनता को उलझाने का एक तरीका है.

बहरहाल अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में नाम बदलने की ये बहस किस दिशा में जाती है और इसका फायदा या नुकसान अगले साल होने वाले चुनाव में किस पार्टी को मिलता है?

अरुणेश कुमार

Bureau Report, YT News

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