बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना कराने का एलान किया था. आज गांधी जयंती के मौके पर जाति से संबंधित आंकड़ों को जारी कर दिया है.
जाति आधारित जनगणना कराने का एलान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुताबिक बिहार में जाति आधारित गणना के लिए विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। 2 जून 2022 को बिहार सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने का एलान किया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना से राज्य में रहने वाली सभी जातियों की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा. सभी जातिओं की आर्थिक स्थिति के अनुसार सभी वर्गों के लिए विकास की योजनाएं लाई जाएंगी.
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर जल्द ही बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी और सबको इस जनगणना के परिणामों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा.
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क्या कहती है रिपोर्ट?
बिहार में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा पिछड़े वर्ग की आबादी है। राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 63 फीसदी जनसंख्या पिछड़े वर्ग से संबंधित है. इनमें से 27 प्रतिशत आबादी पिछड़ा वर्ग के लोगों की है जबकि 36 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अति पिछड़ी जातियों की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में यादव जाति की आबादी सबसे अधिक है. बिहार की कुल जनसंख्या 13 करोड़ से ज्यादा है यह साल 2011 की जनगणना से लगभग 25 फीसदी जयादा है।
वहीं अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 1.68 फीसदी है। सामान्य वर्ग की आबादी लगभग 15.52 प्रतिशत है। रिपोर्ट कहती है कि राज्य में सबसे ज्यादा आबादी यादव जाति की है। यादव समाज की हिस्सेदारी लगभग 14.26 फीसदी है।