बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा: रेलवे स्टेशन, होटल, धर्मशाला में मारा-मारी….हर जगह भारी बदइंतजामी…छात्रों को हुई बेहद परेशानी
बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा का तीन दिनों तक आयोजन हो रहा है. 24 से 26 अगस्त तक होने वाली इस परीक्षा में लाखों छात्र भाग ले रहे हैं. पटना हो या आरा सभी परीक्षा केंद्रों में छात्रों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन छात्रों ने प्रशासन की बदइंतजामी पर कैसे सवाल उठाए, आइए जानते हैं.
बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन यानि बीपीएससी द्वारा 24 से 26 अगस्त 2023 तक आयोजित की जा रही है. ये भर्ती प्राइमरी, सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी लेवल के सरकारी स्कूलों के लिए है. इसके लिए बिहार के अलावा यूपी, एमपी और कई राज्यों से लाखों छात्र बिहार के अलग अलग परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे हैं.
शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग ले रहे हैं लाखों छात्र
दरअसल बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में एलान किया था कि वे सबसे पहले 10 लाख बेरोजगारों को रोजगार देंगे. इसी कड़ी में 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर शिक्षकों की भर्ती हो रही है।
इसमें लगभग 8 लाख 15 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है जिसमें बिहार के अलावा दूसरे राज्यों के भी छात्र शामिल है। इस परीक्षा के लिए पूरे बिहार में 850 केंद्र बनाए हैं।
पटना में ही 40 सेंटर बनाए गए है जिनमें से लगभग 50 हजार अभ्यर्थी एग्जाम देंगे. छात्रों का आरोप है कि परीक्षा केंद्र बहुत दूर दूर बनाए गए हैं. इससे छात्रों की रेलवे स्टेशनों में भीड़ लगी है.
बदइंतजामी से हुई परेशानी
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब शासन प्रशासन को मालुम था कि तीन दिनों तक परीक्षा होनी है, जिसमें लाखों छात्र आएंगे तो पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए.
हर कोई बेरोजगार छात्रों को लूट रहा है. 10-20 रु किराया लगने वाले ऑटो रिक्शा 80 से 100 रु वसूल रहे हैं. सामान्य दिनों में 1 हजार का कमरा मिलने वाला 4 से 5 हजार में मिल रहा है. रेलवे स्टेशन पर भी भारी भीड़ है.
बिहार के रहने वाले युवाओं ने कहा कि दूसरे राज्यों के लोगों को बिहार में परीक्षा देने की अनुमति क्यों दी गई? दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को वहां की सरकार रोजगार दे. ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य सरकारें अपने यहां के पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार दे पाने में सफल क्यों नहीं हो पा रही है.
बार-बार परीक्षा ले रही है सरकार
बिहार के प्रतियोगी छात्रों ने बताया कि पहले कहा गया कि साल 2018 में कहा गया कि एसटीईटी, सीटीईटी परीक्षा पास करना होगा तो हम लोग उस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, ये परीक्षा दी और पास किया फिर भी सरकारी स्कूलों में नौकरी नहीं मिली.
इसके बाद बिहार सरकार ने फिर से शिक्षक भर्ती नियमावली में बदलाव किया. नई नियमावली इसी साल यानि साल 2023 में बिहार सरकार लेकर आई. इसके मुताबिक फिर से बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा देनी होगी, इस तरह से हम लोगों को बार बार परीक्षा देना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार बेरोजगार युवाओं को कैसे रोजगार देगी.
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर उठाए सवाल
परीक्षा देने आए बहुत से छात्रों ने बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की आलोचना की. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने अभ्यर्थियों को गुमराह किया. 10 लाख रोजगार का वादा करके 1 लाख भी रोजगार नहीं दे पाए. बिहार शासन से लेकर जिला प्रशासन तक ने छात्रों की परेशानी नहीं समझी. परीक्षा केंद्रों से लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया. जानबूझकर सैकड़ों किमी दूर एग्जाम सेंटर दिए गए हैं.