बर्ड डे स्पेशल: देश के अनमोल ‘रतन’ हैं टाटा और अंबानी…जानिए कितनी प्रेरक है उनकी ये कहानी..!!
नवेंदु शेेखर झा
रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक स्वर्गीय धीरू भाई अंबानी की आज 90 वीं जयंती है, वहीं हर भारतीय के दिलों पर राज करने वाले रतन टाटा आज अपना 85 वां जन्मदिवस मना रहे हैं.
शून्य से शिखर पर पहुंचे अंबानी
धीरू भाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड शहर में हुआ था । 18 साल की उम्र में 300 रूपए के लिए धीरू भाई यमन के एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे । साल 1958 में विदेश से लौटने के बाद अंबानी ने भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की ।
जीवन में कई प्रकार के उतार चढ़ाव के बावजूद 1966 में उन्होंने रिलायंस टेक्सटाइल का उद्योग शुरू किया और उसके 11 वर्ष बाद अंबानी ने स्वतंत्र भारत में पहला IPO लाने का फैसला किया जहां 10 रूपए के भाव पर उन्होंने 2.8 मिलियन शेयर जारी किया । जिससे उन्होंने कई गुना अधिक मुनाफा कमाया । 1970 – 80 के दशक में रिलायंस टेक्सटाइल की “विमल” ब्रांड ने पूरे देश में धूम मचा दी
मोबाइल फोन इंडस्ट्री में ला दी क्रांति
आज भले ही रिलायंस जिओ की धूम ही धूम हो लेकिन टेलीकॉम इंडस्ट्री में उनकी शुरूआत साल 2002 में हुई थी जब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने टेलीकॉम क्षेत्र में कदम रखा. हर हाथ में रिलायंस का मोबाइल फोन देने की सोच के साथ धीरू भाई अंबानी ने इसका स्लोगन “कर लो दुनिया मुट्ठी में” में रखा. इसके बाद देश में मोबाइल फोन की क्रांति आ गई.
धीरूभाई अंबानी ने सही मायनों में भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री की तस्वीर बदल दी । पहली बार लोगों को कम पैसे में फोन पर बात करने की सुविधा उपलब्ध हुई । 600 रूपए में मोबाइल और 15 पैसे प्रति मिनट में कॉल ने देशभर में एक क्रांति ला दी और पूरी दुनिया ने धीरू भाई अंबानी का लोहा मान लिया ।
रतन टाटा- संघर्ष से पाई सफलता
देश के सबसे विश्वसनीय उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा का जन्म भी 28 दिसंबर 1937 में गुजरात के ही सूरत में हुआ था । 10 वर्ष की उम्र में ही मां बाप रतन टाटा से दूर हो गए थे जिसके बाद इनका पालन पोषण इनकी दादी ने किया था ।
अपनी शुरुवाती शिक्षा मुंबई और शिमला से प्राप्त करने के बाद इन्होंने कर्नल यूनिवर्सिटी से B.sc की डिग्री ली और फिर हावर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई की.
शुरुआती दौर में ही टाटा ने IBM जैसी बड़ी कंपनी की नौकरी को ठुकरा दिया था । उसके बाद उन्होंने साल 1961 में “Tata स्टील” में एक साधारण कर्मचारी की नौकरी की. अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष से वे 1991 में “Tata Group” के चेयरमैन बन गए।
इसके बाद ऑटोमोबिल में रतन टाटा ने देश का प्रतिनिधित्व पूरी दुनिया में किया । टाटा ने वर्ष 2000 में दुनिया की सबसे बड़ी चाय कंपनी “टेटली” का अधिग्रहण किया और कुछ वर्ष बाद टाटा खुद चाय कंपनियों में शीर्ष पर पहुंच गया ।
साल 2008 में जब कार कंपनी फोर्ड दिवालिया होने वाली थी, तब रतन टाटा ने कंपनी को टाटा मोटर्स के साथ शामिल कर खत्म होने से बचा लिया और इस बात के लिए उनकी तारीफ़ पूरे विश्व में हुई ।
रिलायंस और टाटा के पास हैं कई बड़ी कंपनियां
वर्ष 2002 में धीरू भाई अंबानी की मृत्य के बाद उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज का कारोबार संभाला और मुकेश अंबानी देश के सबसे अमीर उद्योगपति बन गए ।
कई वर्षो तक शीर्ष पर रहने वाले मुकेश अंबानी आज भी कमाई के मामले में गौतम अडानी के बाद दूसरे स्थान पर विराजमान हैं । आज रिलायंस इंडस्ट्रीज टेक्सटाइल, टेलीकम्युनिकेशन, पेट्रो केमिकल्स, एनर्जी, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर इत्यादि जैसे उद्योग चलाता है । खासकर जियो ने तो आधुनिक भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज को शीर्ष पर ला खड़ा किया ।
वहीं Tata Group भी देश में कई प्रकार के उद्योग करती है । Tata Motors के साथ टाटा ग्रुप स्टार्ट अप में काफी निवेश करती है । ओला इलेक्ट्रिक, लेंस कार्ट और पेटीएम जैसे बड़ी कंपनी में भी टाटा का बड़ा निवेश है.
रतन टाटा है देश के अनमोल ‘रतन’
आज रतन टाटा 85 वर्ष के हो गए हैं । रतन टाटा को हिंदुस्तान से बहुत प्रेम है और वह हमेशा सिर्फ राष्ट्र प्रथम सोचते हैं । इसी सोच को ध्यान में रखते हुए उन्होंने देश के गरीब नागरिकों के लिए “नैनो” जैसी कार का निर्माण कराया जिसकी कीमत सिर्फ 1 लाख रूपए थी । उनकी सोच थी की भारत का हर नागरिक जो कम पैसे में कार खरीदना चाहते हैं वह उनका सपना पूरा कर सकें और उन्होंने इसे बखूबी पूरा किया ।
आज भी रतन टाटा अपने कमाई का दो तिहाई हिस्सा देश में दान करते हैं । रतन टाटा ने अपने जीवन में प्रेम की भी एक बडी मिसाल पेश की ।
उन्होंने कभी शादी नहीं की, क्योंकि उन्हें अमेरिका में जिस युवती से प्रेम हुआ था उनकी शादी किसी और से हो गई थी फिर भी उन्होंने किसी और से शादी नहीं की.
रतन टाटा हमेशा कहते हैं ‘ जो लोग आप पर पत्थर फेंकते हैं आप उनका उनका जवाब उन्हें स्मारक बनाकर दें’ । रतन टाटा हमेशा अकेले चलने में विश्वास रखते हैं और फैसले को सही साबित करते हैं । आज रतन टाटा देश के युवाओं के रोल मॉडल हैं । सही मायनों में वे देश के अनमोल रतन है रतन टाटा