बुद्ध पूर्णिमा स्पेशल- भगवान बुद्ध ने दिया कौन सा प्रवचन….जिससे सफल हो जाता है जीवन…?
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन न सिर्फ भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, बल्कि इसी दिन महापरिनिर्वाण की प्राप्ति भी हुई थी. भगवान बुद्ध ने बहुत से प्रवचन दिए हैं.आइए उनमें से एक प्रवचन के बारे में जानते हैं
कुशीनगर. देश-विदेश में आज यानि 23 मई को बुद्धरु पूर्णिमा मनाई जात रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान बुद्ध को श्रीहरि विष्णु का नौवां अवतार माना ज है। कुशीनगर में इस विशेष दिन लगभग एक माह तक मेला लगता है.
‘काम पर चलो, समय निकला जा रहा है’
गौतम बुद्ध अपने शिष्यों को प्रवचन दिया करते थे। कई बार उनके प्रवचन को सुनने के लिए आम लोग भी आया करते थे. ऐसे ही एक बार भगवान बुद्ध ने प्रवचन समाप्त करने के बाद कहा, “उठो, काम पर लगो। समय निकला जा रहा है।”
इतना सुनते ही एक महिला उनके सामने आई और कहने लगी उन्हें सेठ के घर नृत्य के लिए जाना है। पर आपके प्रवचन में मैं वो भूल गई थी। उस महिला ने बुद्ध को धन्यवाद देते हुए अपने काम के लिए चली गई.
इसके बाद एक चोर बुद्ध के सामने आया और कहने लगा कि मैं! झूठ नहीं कहूंगा, मैं एक चोर हूं। आज रात मुझे किसी के घर चोरी करने जाना है, पर आपके प्रवचन में मैं अपना काम ही भूल गया था। आपने जैसे ही कहा कि समय निकला जा रहा है, मुझे याद आ गया कि मुझे तो काम पर निकलना था।
उसके जाने के बाद एक बुजुर्ग बुद्ध के पास आया। उसने दोनों हाथ जोड़ कर बुद्ध से कहा कि तथागत, आज आपने मेरी आंखें खोल दीं। मैं जीवन भर जीवन को जीने की तैयारी करता रहा। अब इस वक्त ऐसा अहसास हो रहा है कि समय निकल गया। मैंने ज़िंदगी व्यर्थ में खर्च कर दी। आज आपने कहा कि उठो, काम पर लगो, समय निकला जा रहा है तो मुझे अहसास हो रहा है कि मुझे अब कुछ समय खुद की तलाश में लगाना चाहिए। मुझे मुक्ति के मार्ग की तलाश करनी चाहिए।
बुद्ध ने तो एक ही बात कही थी, “उठो, काम पर लगो। समय निकला जा रहा है।” नर्तकी ने उसका अर्थ अपने हिसाब से समझा। चोर ने अपने हिसाब से और बुजुर्ग ने अपने हिसाब से। आप किसी बात को कैसे समझते हैं, ये आप पर निर्भर करता है। बुद्ध के कहने पर नहीं।
मैं काम पर लगा हूं। जीवन सीमित है। समय कम है। उसकी रफ्तार आपकी सोच से तेज है। समय तो निकल ही जाएगा। पर बाद में अफसोस न रह जाए कि समय निकल गया, हमने काम नहीं किया। इसलिए अपने काम पर लगिए।