क्या “ताइवान” बनेगा दूसरा “यूक्रेन”? चीन ने ताइवान के समुद्री सीमा में दागे डॉन्गफेंग बैलेस्टिक मिसाइल..अमेरिका ने अपना युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन ताइवान भेजा
एजेंसियां, 4 अगस्त 2022
चीन और ताइवान के बीच शुरु हुआ घमासान . चीन की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी जिसके बाद चीन ने गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी.
इलाके में तनाव को देखते हुए चीन और जापान के बीच होने वाली जी-7 की मीटिंग भी कैंसिल कर दी गई है. चीन के कार्रवाई के कारण ताइवान आने-जाने वाले 50 विमानों को रद्द कर दिया गया है.
चीन अपने वन चाइना नीति के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. लेकिन ताइवान अपने को एक स्वतंत्र देश मानता है.
चीन ने ताइवान के समुद्री सीमा में डॉन्गफेंग बैलेस्टिक मिसाइल दागे हैं, वहीं अमेरिका ने अपना युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन ताइवान भेज दिया है. चीन की सरकारी मीडिया ने कहा है कि पूर्वी थियेटर कमांड के रॉकेट फ़ोर्स ने ताइवान के पूर्वी किनारे पर मिसाइल दागे हैं.
“ताइवान के पास पीएलए के पूर्वी थियेटर कमांड की संयुक्त ड्रिल का मक़सद अमेरिका और ताइवान की मिलीभगत को रोकना है.” टैन कीफ़ी, प्रवक्ता, चीनी रक्षा मंत्रालय
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि लॉन्च के बाद उन्होंने भी अपना डिफेंस सिस्टम सक्रिय कर दिया है. उन्होंने ये भी कहा है कि चीन के इस ‘गैर ज़िम्मेदार” क़दम से इस क्षेत्र में शांति को भंग कर दिया है. ताइवान ने चीन की सैन्य कार्रवाई की निंदा की है. ताइवान ने कहा है कि वह अपनी एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है।
चीन की कार्रवाई के बाद अमेरिकी सेना ने भी ताइवान के दक्षिणपूर्व समुद्र में अपना युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन भेगा है. नौसेना के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “यूएसएस रोनाल्ड रीगन और उसके स्ट्राइक ग्रुप फ़िलीपिंस के समुद्र में एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के समर्थन में नियमित पेट्रोल और सामान्य निर्धारित ऑपरेशन कर रहे हैं.”
वहीं सात औद्योगिक देशों के समूह जी-7ने ताइवान के आस-पास चीन के इस तथाकथित हमले की सख्त निंदा की है। जी-सात देशों के विदेश मंत्रियों ने एक बयान में कहा कि सुश्री पेलोसी के दौरे को बहाना बनाकर अक्रामक हमले कर रहा है जो पूरी तरह से अनुचित है। चीन की इस कार्रवाई से इस क्षेत्र में और अधिक तनाव बढ़ेगा।
चीन ने ताइवान की सीमा के पास सैनिक अभ्यास शुरू किया है. अमरीकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान दौरे के बाद दक्षिण कोरिया पहुंच गई हैं, उन्होंने कहा है कि विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र अमेरिका ताइवान में डेमोक्रेसी को मजबूत करेगा ।
ताइवान के मेनलैंड अफ़ेयर्स काउंसिल ने कहा कि मिलिट्री फ़ोर्स समस्या का हल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सैन्य अभ्यासों से ये तथ्य नहीं बदलेगा कि दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते.
एक तरफ जहां अमेरिका ताइवन के सपोर्ट में दिख रहा है वहीं दूसरी तरफ चीन का भी बहुत कड़ा रुख है. अमेरिका और चीन के बीच मामला और अधिक बिगड़ सकता है. ऐसे में क्या ये कहा जा सकता है कि ताइवान दूसरा युक्रेन बनने की कगार पर है ?