महिला आयोग की तर्ज पर बने पुरूष आयोग….जानिए पुरुषों के उत्पीड़न का मामला सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानि NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है. ज्यादातर मामलों में पुरुषों का उत्पीड़न में उनकी पत्नी और परिजनों का रोल रहा है. ऐसे में किसने सुप्रीम कोर्ट से पुरुष आयोग बनाने की मांग की है, आइए जानते हैं
ऐजेंसी
21 मार्च, नई दिल्ली. महिला पुरुष एक दूसरे के सहयोगी होते हैं, प्रतियोगी नहीं. दोनों का अस्तित्व एक दूसरे पर निर्भर करता है लेकिन कई बार महिलाओं का पुरुषों द्वारा उत्पीड़न होता है तो उसके लिए महिलाएं पुलिस प्रशासन और महिला आयोग से मदद ले सकती हैं लेकिन यही अगर पुरुषों के साथ हो तो उनके शोषण की बात को समझना तो दूर लोग सुनते भी नहीं हैं क्योंकि हमारे सामाजिक ताने बाने में ये माना जाता है कि मर्द को दर्द नहीं होता, पुरुष का शोषण नहीं होता.
महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा करते हैं आत्महत्या
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानि NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक देश में आत्महत्या करने वाले पुरुषों में भी कुंआरों के मुकाबले विवाहितों की संख्या करीब 3 गुना ज्यादा है. साल 2021 में सुसाइड करने वाले 1,18,979 पुरुषों में 81,063 विवाहित थे, जबकि शेष बाकी कुंआरे या विधुर थे वहीं महिलाओं केस में इसका लगभग उलटा था. साल 2021 में सुसाइड करने वाली 45,026 महिलाओं में शादीशुदाओं की संख्या 28,689 थी.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
पारिवारिक समस्याओं के कारण ज्यादा पुरुष जान दे रहे हैं. NCRB ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि साल 2021 में कुल आत्महत्या के आंकड़ों में से 33.20 फीसदी ने पारिवारिक समस्याओं के कारण जान दी जबकि 4.8 फीसदी पुरुषों ने अन्य विवादों के कारण सुसाइड किया.
पुरुषों के सुसाइड के बढ़ते मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका महेश कुमार तिवारी ने दायर की है. उन्होंने NCRB की साल 2021 के आकंड़ों के जरिए ये कहा है कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा उत्पीड़न के शिकार होते हैं.
महिला आयोग की तर्ज पर बने पुरुष आयोग
हिंसा और शोषण जेंडर देखकर नहीं होता. विवाहित पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके ‘राष्ट्रीय पुरुष आयोग बनाने की मांग की गई है.
आयोग के गठन से पीड़ित पुरुषों, घरेलू उत्पीड़न के शिकार पुरुषों को न्याय मांगने में मदद मिलेगी इससे पुरुषों के आत्महत्या के मामले भी घटेंगे. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस आयोग के गठन के लिए केंद्र सरकार को जल्द से जल्द निर्देश दिया जाय.
याचिका में कहा गया है कि घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य सरकारों को निर्देश दे कि ऐसे मामले पुलिस दर्ज करे.
वहीं लॉ कमीशन घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों के सुसाइड मामलों पर रिसर्च करके रिपोर्ट फाइल करे जिसके आधार पर सरकार राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन का फैसला करे.