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भारतमाला-सागरमाला प्रोजेक्ट से विकास के रास्ते में भारत, सड़क से समुद्र तक ऐसे लिखी जा रही है विकास की नई इबारत.!!

आरती कुमारी

भारतमाला परियोजना..देश में बड़ी और चौड़ी सड़कों के निर्माण से जुड़ी है. इसके तहत देश भर में एक मजबूत हाई–स्पीड रोड नेटवर्क तैयार करने की योजना है.

क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट की मौजूदा स्थिति? 

भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है जिसके तहत बनाए जा रहे सड़क नेटवर्क से बेहतर रोड कनेक्टिविटी होगी तो जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने साल 2022 तक इस पूरे सड़क नेटवर्क का निर्माण करने की योजना बनाई थी, लेकिन जमीन अधिग्रहण से जुड़ी समस्याओं और कोरोना महामारी के चलते भारतमाला परियोजना का कार्य रूक गया था जिसके कारण काम पूरा होने में चार साल की देरी हो सकती है।

अक्टूबर 2020 में सरकार ने बताया कि इस परियोजना के पहले चरण के तहत 2,921 किमी हाईवे का निर्माण हो चुका है। अगले साल यानि 2023 तक इस परियोजना के लिए सभी कॉन्ट्रैक्ट दे दिए जाएँगे, तब 2026 तक इसके पहले चरण का काम पूरा हो सकता है।

इससे पहले भारतमाला परियोजना के पहले चरण में 5.35 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था, लेकिन कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण और जमीन अधिग्रहण के कारण अब यह राशि बढ़कर 8.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

भारतमाला परियोजना से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

इस प्रोजेक्ट से पूरे भारत में आर्थिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं जिससे लगभग 22 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, जिसमें दिहाड़ी मजदूर भी शामिल हैं।

क्या है सागरमाला प्रोजेक्ट?

सागरमाला परियोजना द्वारा ‘कौशल विकास’ एवं ‘मेक इन इंडिया’ को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है. इस प्रोजेक्ट में बंदरगाहों का विकास किया जाएगा।  सागरमाला परियोजना केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई योजना है जो बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से संबंधित है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 15 अगस्त, 2003 को इस परियोजना की शुरूआत की गई थी. इस योजना द्वारा 7500 किमी. लंबी समुद्री तट रेखा के आस-पास बंदरगाहों के आसपास के इलाके को विकसित करना है.

केंद्रीय शिपिंग मंत्रालय इस योजना की नोडल एजेंसी है। योजना के अंतर्गत 8 तटीय राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया हैं। इसके अलावा इस योजना में 12 स्मार्ट शहर तथा विशेष आर्थिक ज़ोन को शामिल किया गया है।

वर्तमान में समुद्र के जरिए व्यापार बढ़ रहा है, अकेले हिंद महासागर द्वारा दुनिया के तेल व्यापार का 2/3 हिस्सा संचालित किया जाता है। कंटेनर द्वारा तकरीबन 50% व्यापार हिंद महासागर द्वारा होता है, आने वाले दिनों में इसके और बढ़ने की संभावना है।

सरकार के अनुसार सागरमाला परियोजना के परिचालन से लॉजिस्टिक्स लागत में लगभग 3500 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी. इसके अलावा भारत का व्यापार निर्यात भी करीब 110 अरब डाॅलर तक पहुँचने की संभावना है।

सागरमाला परियोजना के उद्देश्य

  • बंदरगाहों के आस-पास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विकास को प्रोत्साहन देना।
  • तटीय आर्थिक क्षेत्र में बसे लोगों के सतत् विकास को प्रोत्साहित करना।
  • देश के बड़े तटवर्ती शहरों को बेहतर सड़क मार्ग,वायु मार्ग,तथा समुद्री मार्ग से जोड़ना।
  • बंदरगाहों से माल की आवाजाही के लिये किफायती, त्वरित और कुशल बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराना।
  • नए बंदरगाहों का विकास तथा पुराने बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करना।
  • भीतरी क्षेत्रों से बंदरगाहों तक तथा बंदरगाहों से भीतरी क्षेत्रों तक माल निकासी व्यवस्था को सुगम बनाना।
  • बंदरगाह अवसंरचना में वृद्धि करना जिनमे बंदरगाहों का आधुनिकीकरण तथा नये बंदरगाहों का निर्माण शामिल है।

Bureau Report, YT News

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