धर्म- कर्मप्रदेश

धनुष लीला- शिव का धनुष टूटते ही क्रोधित हुए परशुराम…जानिए लक्ष्मण के साथ कैसे हुआ तीखा संवाद?

धनुष लीला वह लीला है जिसमें राजा जनक अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हुए कहते हैं कि जो भगवान शिव के इस धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा, इसके लिए बहुत से महाबली और प्रतापी राजा आते हैं लेकिन धनुष तोड़ना तो दूर वे उसे हिला भी नहीं पाते ऐसे में गुरु विश्वामित्र का आदेश पाकर भगवान राम धनुष तोड़ देते हैं. इसकी भनक जैसे ही परशुराम जी को लगती है तो वे अत्यंत क्रोधित हो जाते हैं जिसमें उनका लक्ष्मण के साथ कैसे तीखा संवाद होता है, आइए जानते हैं.

धनुष लीला कार्यक्रम का आयोजन फतेहपुर ज़िले के देवरी बुजुर्ग गांव में किया गया. रज्जन बाबा के नाम से मशहूर रहे स्वर्गीय राजेंद्र कुमार द्विवेदी बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं. वे अध्यापक, किसान और परशुराम अभिनेता रहे हैं. उन्होंने इस नश्वर संसार को 3 नवंबर 2022 को अलविदा कहा था. उनकी प्रथम पुण्य तिथि के अवसर पर भव्य रामलीला का आयोजन किया गया.
धनुष टूटते ही क्रोधित हुए परशुराम
भगवान राम ने सीता के स्यंवर में भगवान शिव का बलशाली धनुष जिसका नाम पिनाक था, उसे तोड़ देते है. इसकी भनक जैसे ही परशुराम को होती है तो वे बेहद क्रोधित हो जाते हैं.
गुस्से में आकर उन्होंने राजा जनक से पूछा कि धनुष किसने तोड़ा तो वे भार्गव परशुराम के गुस्से से डरे हुए जनक ने मौन साध लिया. इसके बाद भगवान राम ने कहा कि नाथ शंभु धनु भंज निहारा, होइहै कोऊ एक दास तुम्हारा…अर्थात राम परशुराम से बड़ी सहजता और विनम्रता से कहते हैं कि ‘जिसने भी इस महान धनुष तोड़ा होगा वो आपका ही कोई दास ही होगा’.
इस पर गुस्से से लाल परशुराम कहते हैं कि सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरि करनी करि करिअ लराई॥ सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा अर्थात सेवक वह होता है जो सेवा करता है लेकिन जो शत्रु जैसा व्यवहार करे उससे लड़ाई करना चाहिए. सुनो राम जिसने भी भगवान शिव का धनुष तोड़ा है वह सहसबाहु के समान मेरा शत्रु है.
लक्ष्मण-परशुराम में हुआ तीखा संवाद
राम के सौम्य जवाब से क्रोधित परशुराम जब संतुष्ट नहीं होते तो लक्ष्मण बीच में आते हैं. लक्ष्मण उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं, वे व्यंग्य के बाण चलाते हैं जिसे सुनकर परशुराम जी का क्रोध और बढ़ जाता है.
फिर शुरू होता है लक्ष्मण-परशुराम में तीखा संवाद होता है. वे उन्हें अपने फड़से की ताकत बताने लगते हैं. इस धरती से 21 बार क्षत्रियों को मारने की बात कहते हैं. इसके बाद लक्ष्मण भी क्रोधित हो जाते हैं.
इसके बाद भगवान राम परशुराम से माफी मांगते हैं. राम की विनम्र और भावुक प्रस्तुति से दर्शक भी प्रभावित हुए. इसके बाद परशुराम जी का क्रोध शांत होता है और फिर उन्हें अहसास होता है कि राम..भगवान विष्णु के अवतार हैं फिर वे भगवान राम की आराधना करते हैं.
सभी कलाकारों ने मंच पर शानदार प्रस्तुति दी. सैकड़ों स्थानीय लोगों ने इस रामलीला का आनंद उठाया. आयोजकों ने बताया कि स्वर्गीय परशुराम अभिनेता की प्रथम पुण्य तिथि पर उनके ही द्वारा सिखाए गए कलाकारों ने अभिनय किया. उनकी हर पुण्य तिथि पर इस तरह के धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

Bureau Report, YT News

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