फीस पर ‘फसाद’: इलाहाबाद विवि में फीस बढ़ाने पर जारी है छात्रों का संग्राम, जानिए इस समस्या का क्या है समाधान?
अरुणेश कुमार
देश में शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकारों का ध्यान सबसे अधिक होना चाहिए पर ये दोनों ही क्षेत्र सरकारों द्वारा लगभग उपेक्षित ही रहते हैं.
‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी कोर्सेज की फीस 400 फीसदी बढ़ा दी गई है इससे अब वहां पर पढ़ना और महंगा हो गया है।
इस फैसले के खिलाफ वहां के छात्र-छात्राएं लगभग पिछले 15 दिनों से धरना प्रदर्शन और हंगामा कर रहे हैं.
कुछ छात्रों ने आत्मदाह और भू-समाधि लेने की कोशिश की जिस पर पुलिस ने किसी तरह से बीच-बचाव करके मामले को संभाला.
100 साल बाद बढ़ी है फीस-कुलपति
वहीं फीस बढ़ोत्तरी पर विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि 100 साल बाद फीस बढ़ाई गई है. भले ही इससे फीस वृद्धि की दर 400 फीसदी लग रही हो लेकिन फीस बढ़ाने के बाद भी कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तुलना में फीस बहुत कम है।
यूजी, पीजी और पीएचडी कोर्सेज के लिए फीस वृद्धि का नोटिफिकेशन 14 सितंबर 2022 को जारी की गई थी, तब से छात्र इस वृद्धि को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
क्या है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और दूसरी सेंट्रल यूनीवर्सिटीज का फीस स्ट्रक्चर?
- यूजीसी की तरफ से एक सेंट्रल फीस रिगुलेटरी अथॉरिटी बने जिसमें हर तीन या पांच साल नया सत्र शुरू होने से पहले हर कोर्स के लिए सेंट्रल, स्टेट और प्राइवेट यूनीवर्सिटी की फीस स्ट्रक्चर तय की जाए.
- हर एक सेंट्रल यूनीवर्सिटी के हर एक कॉमन कोर्स की कॉमन फीस होनी चाहिए.
- रिगुलर और सेल्फ फॉयनेंस कोर्से के लिए अलग अलग फीस का निर्धारण करे.
- गरीब तबके के छात्रों के लिए फीस कम रखी जाए. इसके लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण तय किेए जाने की आवश्यकता है.
- इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसे कोर्सेज की फीस भी इस रिगुलेटरी अथॉरिटी के दायरे में आना चाहिए.
- यूनीवर्सिटीज की स्वायत्ता पर कोई असर न पड़े तो इसके लिए संबंधित विवि फीस का निर्धारण स्वयं करें लेकिन सेंट्रल अथॉरिटी द्वारा निर्धारित फीस स्ट्रक्चर से हर हाल में फीस कम होनी चाहिए.
- छात्र-छात्राओं के लिए स्पेशल परफॉर्मेंस बेस्ड स्कॉलरशिप की व्यवस्था हो जिसके माध्यम से आने वाले सेमेस्टर में छात्रों की फीस से स्कॉलरशिप के पैसे कम कर दिए जाएं.