शुभ नवरात्र: मां दुर्गा के 9 रुपों के 5वें रुप में स्कंद माता की होती है आराधना…जानिए किस मंत्र से करें इस रूप की पूजा-अर्चना?
आरती कुमारी
शारदीय नवरात्र का आज पांचवां दिन है. आज के दिन मां दुर्गा के पंचम रूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कुमार कहा जाता है, ये देवी उन्हीं की मां है इसलिए दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंद माता कहते हैं। आइए जानते हैं मां के स्कंद स्वरूप की पूजा-पाठ किस मंत्र से करें?
कैसा है मां स्कंदमाता का स्वरूप?
मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कन्द बाल रूप में विराजित हैं। स्कंद मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।
क्या है मां स्कंदमाता की कथा?
मां स्कंदमाता की कथा कुछ इस प्रकार है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार तारकासुर नाम का एक राक्षस था। जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी।
तब मां पार्वती ने अपने स्कन्द को युद्ध की ट्रेनिंग के लिए स्कन्द माता का रूप लिया और भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के पश्चात् भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया।
कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं।
पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है।
मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।
देवी स्कंदमाता मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
मां स्कंदमाता का शुभ रंग-
स्कंदमाता को नीला रंग पसंद है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के पांचवे दिन नीले रंग के कपड़े पहने चाहिए।